Important questions for class 10th
इस पोस्ट में आप लोगों को नौबतखाने में इबादत कहानी के प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा
प्रश्न 1. डुमराँव की महत्ता किस कारण से है ?
उत्तर – डुमराँव की महत्ता शहनाई के कारण है । प्रसिद्ध शहनाईवादक बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव में हुआ था । शहनाई बजाने के लिए जिस ‘ रीड ‘ का प्रयोग होता है , जो एक विशेष प्रकार की घास ‘ नरकट ‘ से बनाई जाती है , वह डुमराँव में सोन नदी के किनारे पाई जाती है ।
प्रश्न 2, आशय स्पष्ट करें ” काशी संस्कति की पाठशाला है ।
उत्तर- काशी को ‘ संस्कृति की पाठशाला ‘ कहा गया है । यह भारत की ज्ञान नगरी रही है । यहाँ भारतीय शास्त्रों का ज्ञान है । यहाँ कला – शिरोमणि रहते हैं । यहाँ का इतिहास पुराना है । यह प्रकांड विद्वानों , धर्मगुरुओं तथा कला प्रेमियों की नगरी है , अर्थात् काशी संस्कृति विकास का मूल केन्द्र है ।
प्रश्न 3 . बिस्मिल्ला खाँ सजदे में किस चीज के लिए गिडगिडाते थे ? इससे उनके व्यक्तित्व का कौन – सा पक्ष उद्घाटित होता है ?
उत्तर – बिस्मिल्ला खाँ जब इबादत में खुदा के समाने झुकते तो सजदे में गिड़गिड़ाकर खुदा से सच्चे सुर का वरदान माँगते । इससे पता चलता है कि खाँ साहब धार्मिक , संवेदनशील एवं निरभिमानी थे । संगीत – साधना हेतु समर्पित थे । अत्यन्त विनम्र थे ।
प्रश्न 4 . आशय स्पष्ट करें
फटा सुर न बख्शे ।
लुंगिया का क्या है ,
आज फटी है , तो कल सिल जाएगी ।
उत्तर – बिस्मिल्ला खाँ प्रायः खुदा से दुआ माँगा करते थे कि वे उन्हें सच्चा सर बख्श दे , जो संगीत की कसौटी पर हर दृष्टि से पूर्ण तथा खरा है । एक दिन जब उनकी शिष्या ने उनकी फटी लुंगी को बदलने का आग्रह किया तो उत्तर देते हुए कहा कि लुंगी तो सिली या बदली जा सकती है , पर सुर सुरीला होना चाहिए बेसुरा नहीं ।
प्रश्न 5. सुषिर वाद्य किन्हें कहा जाता है ? ‘ शहनाई ‘ शब्द की व्युत्पत्ति किस प्रकार हुई है ?
उत्तर – सुषिर वाद्य ऐसे वाद्य हैं , जिनमें नाड़ी ( नरकट या रीड ) होती है , जिन्हें फूंककर बजाया जाता है । अरब देशों में ऐसे वाद्यों को नय कहा जाता है और उनमें शाह को शहनाई की उपाधि दी गई है , क्योंकि यह वाद्य मुरली , श्रृंगी जैसे अनेक वाद्यों से अधिक मोहक है ।
प्रश्न 6. ‘ संगीतमय कचौड़ी ‘ का आप क्या अर्थ समझते हैं ?
उत्तर- कुलसुम हलवाइन की कचौड़ी को संगीतमय कहा गया है । वह जब बहुत गरम घी में कचौड़ी डालती थी , तो उस समय छन्न से आवाज उठती थी जिसमें अमीरुद्दीन को संगीत के आरोह – अवरोह की आवाज सुनाई देती थी । इसीलिए कचौड़ी को ‘ संगीतमय कचौड़ी ‘ कहा गया है ।
प्रश्न 7. पठित पाठ के आधार पर मुहर्रम पर्व से बिस्मिल्ला खाँ के जुड़ाव का परिचय दें । ( TBO )
उत्तर- मुहर्रम से बिस्मिल्ला खाँ का अत्यधिक जुड़ाव था । मुहर्रम के महीने में वे न तो शहनाई बजाते थे और न ही किसी संगीत – कार्यक्रम में सम्मिलित होते । थे । मुहर्रम की आठवीं तारीख को बिस्मिल्ला खाँ खड़े होकर ही शहनाई बजाते थे । वे दालमंडी में फातमान के लगभग आठ किलोमीटर की दूरी तक रोते हुए नौहा बजाते । पैदल ही जाते थे ।
प्रश्न 8. बिस्मिल्ला खाँ जब काशी से बाहर प्रदर्शन करते थे तो क्या करते थे ? इससे हमें क्या सीख मिलती है ?
उत्तर बिस्मिल्ला खाँ जब कभी काशी से बाहर होते तब भी काशी विश्वनाथ को नहीं भूलते । काशी से बाहर रहने पर वे उस दिशा में मुँह करके थोड़ी देर तक शहनाई अवश्य बजाते थे । वे विश्वनाथ मंदिर की दिशा में मुँह करके बैठते और विश्वनाथ के प्रति उनकी श्रद्धा एवं आस्था शहनाई के सुरों में अभिव्यक्त होती थी । एक मुसलमान होते हुए भी बिस्मिल्ला खाँ काशी विश्वनाथ के प्रति अपार श्रद्धा रखते थे । इससे हमें धार्मिक दृष्टि से उदारता एवं समन्वयता की सीख मिलती है । हमें धर्म को लेकर किसी प्रकार का भेद – भाव नहीं रखना चाहिए ।
प्रश्न 9. पठित पाठ के आधार पर बिस्मिल्ला खाँ के बचपन का वर्णन करें ।
उत्तर अमीरुद्दीन यानी उस्ताद बिस्मिल्ला खाँ का जन्म डुमराँव , बिहार के एक संगीत – प्रेमी परिवार में हुआ था । पाँच – छ : वर्ष की उम्र में ही वह अपने ननिहाल काशी चले गए । बिस्मिल्ला खाँ उस्ताद पैगंबर बख्श खाँ और मिट्ठन के छोटे साहबजादे हैं । चार साल की उम्र में ही नाना की शहनाई को सनते और शहनाई को ढूँढते थे । उन्हें अपने मामा का सान्निध्य भी बचपन में शहनाईवादन की कोशल विकास में लाभान्वित किया । 14 साल की उम्र में वे बालाजी के मंदिर में रियाज़ करने के क्रम में संगीत साधनारत हुए और आगे चलकर महान कलाकार हुए ।
प्रश्न 10. ‘ बिस्मिल्ला खाँ का मतलब बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई । ‘ एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय पाठ के आधार पर दें ।
अथवा , एक कलाकार के रूप में बिस्मिल्ला खाँ का परिचय ‘ नौवतखाने में इबादत ‘ शीर्षक पाठ के आधार पर दें ।
उत्तर- बिस्मिल्ला खाँ एक उत्कृष्ट कलाकार थे । शहनाई के माध्यम से उन्होंने संगीत – साधना को ही अपना जीवन मान लिया था । शहनाईवादक के रूप में वे अद्वितीय पहचान बना लिये थे । बिस्मिल्ला खाँ का मतलब है — बिस्मिल्ला खाँ की शहनाई । शहनाई का तात्पर्य बिस्मिल्ला खाँ का हाथ । हाथ से आशय इतना भर कि बिस्मिल्ला खाँ की फूंक और शहनाई की जादुई आवाज का असर हमारे सिर चढ़कर बोलने लगता है । खाँ साहब की शहनाई से सात सुरताल के साथ निकल पड़ते थे । इनका संसार सुरीला था । इनकी शहनाई में परवरदिगार , गंगा मइया , उस्ताद की नसीहत उतर पड़ती थी । खाँ साहब और शहनाई एक – दूसरे के पर्याय बनकर संसार के सामने उभरे । ।
कहानी का नाम:। नौबतखाने में इबादत
लेखक का नाम:। यतींद्र मिश्र
पाठ्य संख्या :। 11
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