important questions for class 10th वर्णिका (भाग 2)

important questions for class 10th
इस पोस्ट में आप लोगों को कक्षा 10 की पुस्तक वर्णिका
 (भाग- 2) के सभी कहानियों के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएंगे।
इस पोस्ट में आप लोगों को सिर्फ दीर्घ उत्तरीय प्रश्नों के उत्तर दिए जाएंगे।
इस पोस्ट से आप लोगों की कक्षा 10 की बोर्ड परीक्षा में 4 अंक के प्रश्न पूछे जाएंगे
इस पोस्ट में आप लोगों को निम्न कहानियों के प्रश्नों के उत्तर दिए जाएंगे

  1. दही वाली मंगम्मा 
  2. ढहते विश्वास
  3. मां
  4. नगर
  5. धरती कब तक घूमेगी


1.दही वाली मंगम्मा

प्रश्न 1. मंगम्मा का चरित्र – चित्रण कीजिए । (VVI QUESTION)
उत्तर – मंगम्मा गाँव की सीधी – सादी नारियों का प्रतिनिधित्व करती है । आज गाँव – शहर सभी जगह मंगम्मा का प्रतिमर्ति मिलती है । वह अपमान और कष्ट सहकर भी प्रतिष्ठा से रहना चाहती है । वह बेटे – बह और पोते पर अपना स्वत्व सर्वदा बनाये रखना चाहती है । इस प्रकार वह एक भारतीय नारी है जो सम्मान क . साथ जीना चाहती है ।
प्रश्न 2. मंगम्मा और नंजम्मा में कौन अधिक बुद्धिमती है ?
उत्तर – दोनों नारियाँ अधिकार के लिए झगड़ती हैं , किन्तु नंजम्मा अपनी नाटकीय योजना से उसे परास्त कर यहाँ तक कि दही बेचने वाला आय का साधन भी उसके हाथ से खुशी – खुशी ले लेती है । अतः इस व्यवहार से कथाकार ने नंजम्मा को मंगम्मा से अधिक बुद्धिमती बना दिया है ।

प्रश्न 3. कहानी का सारांश प्रस्तुत कीजिए ।
उत्तर – मंगम्मा अवलूर के समीप वेंकटपुर के रहनेवाली थी और रोज दही बेचने बेंगलूर आती थी । मंगम्मा का पति नहीं था और बेटा – बहू से गृह – कलह के कारण अलग हो गई । प्रत्यक्ष में तो झगड़े का कारण पोते की पिटाई थी किन्तु मूल रूप में सास – बहू की अधिकार सम्बन्धी ईर्ष्या थी ।
                                     औरत को अकेली जानकर कुछ अवांछित तत्व के लोग उसके धन और प्रतिष्ठा पर भी आँखें उठाते । रंगप्पा भी ऐसा ही किया , जिसे बहू की पैनी निगाहों ने ताड लिया । उसने पोते को उसके पास भेजने का एक नाटक किया । अब मंगम्मा पोते । के लिए मिठाई भी बाजार से खरीदकर ले जाने लगी । एक दिन कौवे ने उसके माथे से मिठाई का दोना ले उड़ा । अंधविश्वास के कारण मंगम्मा भयभीत हो उठी । बहू के द्वारा नाटकीय ढंग से पोते को दादी के पास भेजने का बहू का मंत्र बड़ा कारगर हुआ । दूरी बढ़ने से भी प्रेम बढ़ता है । मानसिक तनाव घटता है । हुआ भी ऐसा ही । मंगम्मा को भी बहू में सौहार्द , बेटे और पोते में स्नेह नजर आने लगी । बड़े – बूढ़ों ने भी समझाया । बहू ने मंगम्मा का काम अपने जिम्मे ले लिया । बहू ने बड़ी कुशलता से पुनः परिवार में शान्ति स्थापित कर लिया और पूर्ववत रहने लगी ।

2.ढहते विश्वास


प्रश्न 1. ‘ क्या ढहते विश्वास ‘ कहानी के शीर्षक सार्थक है ? विचार करें ।
(VVI question)
 उत्तर – घटित घटना के आधार पर ही सिद्धहस्त लेखन ने कहानी का शीर्षक ” ढहते विश्वास ‘ रखा है । इस भयंकर बाढ़ के समय लोग बड़ी आशा और उम्मीद से माँ मुंडेश्वरी की शरणागत हुए , जहाँ चैत की संक्रान्ति में देवी की पूजा होती थी , बलि दी जाती थी । पर आज भगवान , शिव और माँ मुंडेश्वरी कोई सहायता नहीं । कर सके । अब लोगों को किसी पर भरोसा नहीं रह गया । देवी – देवताओं पर से विश्वास उठने लगा है । अत : कहानी का शीर्षक सटीक और सत्य है । 
प्रश्न 2. लक्ष्मी के व्यक्तित्व पर विचार करें । 
 अथवा /, ‘ ढहते विश्वास ‘ कहानी की लक्ष्मी का चरित्र – चित्रण करें।
(VVI QUESTION)
उत्तर – लक्ष्मी इस कहानी का प्रमुख पात्र है । उसके व्यक्तित्व में कूट – कूटकर दृढ़ता और साहस भरा है । गाँव में मात्र एक बीघा उसकी भू – खंड है , पर पूर्व अनुभव के आधार पर न उसने घर छोड़ी और न गाँव । अच्युत को भी समाज रक्षा में लगा दिया । उसके हृदय में मातृत्व की जलधार बहती है । अच्युत के लिए तो उसने विलम्ब किया ही मूर्छा से जागने पर एक मुर्दे बच्चे को छाती से भींच लेती है । इस प्रकार लक्ष्मी के व्यक्तित्व में नारी सुलभ मातृत्व के साथ – साथ दृढ़ता और साहस का अच्छा मिश्रण है। 
प्रश्न 3. लक्ष्मी कौन थी ? उसकी पारिवारिक परिस्थिति का चित्र प्रस्तुत कीजिए । (VVI QUESTION)
उत्तर – लक्ष्मी एक दीन महिला थी जिसके पति कलकत्ता में रहकर नौकरी करता था । वह जो पैसा भेजता था , उससे बच्चों के साथ लक्ष्मी का भरण – पोषण संभव नहीं था । उसके पास मात्र एक बीघा भूखंड था । प्रकृति के प्रकोप के कारण उसमें हल चलवाने के पैसे भी बेकार जाते थे । अत : तहसीलदार के यहाँ काम – काज करके वह जीविका चलाती थी । उसका बड़ा बेटा , अच्युत दो बेटियाँ तथा एक नन्हा मुन्ना और अपने स्वयं का भरण – पोषण की सारी जिम्मेवारी उसी पर थी । अतः उसका पारिवारिक स्थिति दयनीय थी ।
प्रश्न 4. कहानी में आये बाढ़ के दृश्यों का चित्रण अपने शब्दों में प्रस्तुत कीजिए।
(VVI QUESTION)
उत्तर – दलेई बाँध पर काफी श्रम करके भी लोग सफल न हो सके और बाँध । टूट ही गया । सूचना मिलते ही लोग टीले की ओर दौड़ पड़े पर पानी का बहाव तेज था । कुछ लोग रास्ते में बह गया । स्कूल भी पानी से भर गया । घुटने भर पानी में लोग छत पर खड़े रहे पर कमरे वालों की क्या गति हुई यह किसी को मालूम नहीं । लक्ष्मी आदि कुछ लोग वृक्ष की जटा और डाल पकड़ कर लटक गये । चण्डेश्वरी चबूतरा भी पानी से भर गया । लोग अफरा – तफरी में जान बचाने को आकुल – व्याकुल थे पर कोई देव – शक्ति उन्हें रक्षा नहीं कर सकी । इस विभीषिका में गाँव का विनाश हो गया।
 प्रश्न 5. कहानी के आधार पर प्रमाणित करें कि उड़ीसा का जन – जीवन बाढ़ और सूखा से काफी प्रभावित रहा है।
(VVI QUESTION)
 उत्तर – उड़ीसा के जन – जीवन का सफल चितेरा सातकोड़ी होता ने अपनी इस कहानी में उड़ीसा की बाढ़ और सूखा का प्रत्यक्ष प्रतिबिम्ब प्रस्तुत किया है । तूफान के बाद सूखा और उसके बाद बाढ़ वहाँ के जनजीवन को अस्त – व्यस्त करके हर समय बेसहारा बना देता है । महानदी का हीराकुंड बाँध और अयाति द्वारा निर्मित पत्थर का बाँध भी उन्हें रक्षा नहीं कर पाते । सूखे में विचड़े तक सूख जाते हैं और बाढ़ में असंख्य धन – जन की हानि होती रहती है ।

3.मां

प्रश्न 1. इस कहानी के द्वारा कवि क्या सन्देश देता है ?
उत्तर – इस कहानी में माँ की ममता और वात्सल्य की भावना को कथाकार ने स्पष्ट करते हुए हमें ‘ मातृदेवोभवः ‘ का पाठ स्मरण कराया है । माँ की सेवा बलिदान और त्याग के लिए हम उसे क्या प्रतिदान दे सकते हैं ! माँ के उस ममता को प्राप्त करने के लिए ही तो हमारे ऋषियों ने ब्रह्म को शक्ति अर्थात् मातृरूप में देखना शुरू किया क्योंकि जितना हमारे समीप माँ हो सकती है , हमारे लिए जितना कष्ट वह उठा सकती है , उतना दूसरा कोई नहीं । अत : हमें भी मनसा , वाचा , कर्मणा , मातृभक्त होना चाहिए ।
प्रश्न 2. कहानी के शीर्षक की सार्थकता पर विचार करें ।
(VVI question) 
उत्तर – इस कहानी का शीर्षक ‘ माँ ‘ है । सम्पूर्ण कहानी में माँ की ही प्रधानता है । एक माँ अपने अपंग और पागल पुत्री मंगु को भी प्यार करती है , सेवा करती है और सर्वदा चिंतित रहती है । शीर्षक का निर्धारण घटित घटना के आधार पर , घटना स्थान के आधार पर और प्रधान पात्र के आधार पर होता है । यहाँ कथाकार ने इस कहानी में माँ को । ही प्रधान पात्र बनाया है । माँ ही सर्वत्र यहाँ छायी हुई है । अत : कहानी का ” माँ ” शीर्षक पूर्ण उपयुक्त है ।
 प्रश्न 3 . कुसुम के पागलपन में सुधार देख मंगु के प्रति माँ , परिवार और । समाज की प्रतिक्रिया को अपने शब्दों में लिखें ।
 उत्तर – कुसुम ठीक होकर घर आयी तब सारा गाँव उसे देखने उमड़ पड़ा और सबसे आगे माँजी थी । कुसुम को ठीक – ठाक देख माँजी को हर व्यक्ति सलाह देने लगा , ” माँजी आप मंगु को एक बार अस्पताल में भर्ती करके तो देखें । वह जरूर अच्छी हो जायेगी । कुसुम से घर पर बात होने के बाद माँ का अस्पताल के प्रति जो घृणित गाँठ पड़ गई थी , वह खुल गई और वह भी एक बार यह सोचकर कि ठीक नहीं होगी तो उसे घर लौटा लिया जायेगा इसलिए अस्पताल ले गई ।

प्रश्न 4 . मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है , उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं या संवेदनशील ? विचार करें ।
(VVI QUESTION)
 उत्तर _ मंगु जिस अस्पताल में भर्ती की जाती है उस अस्पताल के कर्मचारी व्यवहार कुशल हैं । रोगी के अभिभावक के साथ कैसे पेश आना चाहिए और रोगी के साथ कैसा व्यवहार करना चाहिए , इसे वे अच्छी तरह समझते हैं और व्यवहार । में लाते हैं । पति के सामने परिचारिका ने पगली स्त्री के साथ बड़ा सौम्य व्यवहार किया । सामान्य लोग क्रुद्ध हो जाते । मैट्रन आदि अस्पताल के कर्मचारी अपने । व्यवहार से माँ जी को भी आश्वस्त कर दिये । अतः वे व्यवहार – कुशल हैं न कि संवेदनशील ।

4. नगर


प्रश्न 1 .वल्लि अम्माल का चरित्र – चित्रण करें ।
(VVI QUESTION)
उत्तर – वल्लि अम्माल इस कहानी की प्रधान पात्र है । वह पूर्ण अशिक्षित और शहरी वातावरण से अपरिचित भी है । देहाती वातावरण में रहने के कारण मुखर भी नहीं थी । वह पुराने देहात की , पुराने रिवाज में पली नारी थी । उसे अस्पताल का दौड़ और दवाओं का गंध भी असह्य था । उसे गाँव के अधकचरे झोला छाप वैद्य , डॉक्टरों , ओझाओं और देवी – देवताओं पर विश्वास था । वह शहरी वातावरण से अनभिज्ञ अशिक्षित और डरपोक प्राचीन भारतीय नारी थी ।
प्रश्न 2. बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्याति अस्पताल में भर्ती क्यों नहीं हो पाती ? 
(VVI QUESTION)
 उत्तर _ बड़े डॉक्टर ने पाप्पाति का रोग देखा । उसका परीक्षण कर एक्यूट केस ऑफ मेनिनजाइटिस कहा । रुग्ना की माँ अशिक्षित नारी थी । वह न तो अस्पताल की प्रक्रिया जानती थी और न किसी से पूछने की हिम्मत ही कर सकी । अस्पताल में घूसखोरी और पैरवी का वातावरण व्याप्त थी । वल्लि अम्माल का दिन भर का समय इधर – उधर दौड़ने में बीत गया और हारकर वह गाँव लौट गयी । यही कारण है कि बड़े डॉक्टर के आदेश के बावजूद पाप्पाति अस्पताल में भर्ती न हो सकी ।
प्रश्न 3. लेखक ने कहानी का शीर्षक ” नगर ” क्यों रखा ?
(VVI QUESTION)
 उत्तर – ‘ नगर ‘ शीर्षक घटना स्थान का द्योतित करता है , जो लक्षणशास्त्र के अनुसार सटीक कहा जायेगा । लेखक मदुरै का इतिहास बताकर पुनः हास्य की मुद्रा में कहता है – चप्पल रहित गँवार लोगों की भीड़ , मीनाक्षी मन्दिर के स्तब्ध से खड़े अनेक गोपुरम् , सूखी हुई वेगै नदी का पुल – यह है मदुरै । इसी नगर में रुग्ना पुत्री को लेकर वल्लि अम्माल चिकित्सा के लिए आती है और अस्पताल की दौड़ लगाकर निष्फल , निराश लौट जाती है । नगर में यही सब तो होता है , जिसका चित्र लेखक ने सही खींचा है । इसीलिए इस कहानी का शीर्षक ‘ नगर ‘ रखा गया है , जो सही और सटीक है ।
5.धरती कब तक घूमेगी
प्रश्न 1. सीता का चरित्र चित्रण करें ।
(VVI QUESTION)
 उत्तर – सीता एक विधवा पर सहिष्णु महिला थी । वह बहुओं की विषाक्त बातों का कभी उत्तर नहीं देती । वह अपने हृदय को पत्थर कर अपने ही घर में विराना बनकर रह रही थी । बेटों ने उसे एक – एक महीने पाली पर रखा तो वह कुछ नहीं बोली पर जब उसे 50 रु० प्रतिमाह देने की बात बेटों ने बिना उससे राय लिए ही तय कर की तो उसका स्वाभिमान जगा और वह घर से निकल पड़ी । इस प्रकार सीता सुख – दु : ख में समरस रहनेवाली , शान्त प्रकृति की स्वाभिमानिनी और दृढ़ निश्चय प्रकृति की महिला है ।
प्रश्न 2. कहानी के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट करें ।
 अथवा/ . ” धरती कब तक घूमेगी ‘ कहानी के शीर्षक की सार्थकता सिद्ध करें ।
(VVI QUESTION)
उत्तर- इस कहानी का शीर्षक ‘ धरती कब तक घूमेगी ‘ घटना – प्रधान है । सीता । अपने बेटों और उनसे अधिक बहओं का विष सहते – सहते परेशान हो जाती है । उसे ‘ अपना पर्व का जीवन स्मरण हो आता है । उसने आकाश की ओर दृष्टि उठाकर देखी और फिर पृथ्वी की ओर देखकर महसूस किया कि पृथ्वी और आकाश के बीच घुटन भरी हुई है । दो रोटियाँ ही सबकुछ नहीं , इनके अलावे भी तो कुछ है और वही अलावा वाली इच्छाएँ ही तो दुख भोगने को बाध्य करती हैं । सीता को आशा है कि धरती घूमेगी , पर कब तक घूमेगी ? अत : यह शीर्षक सार्थक है ।
प्रश्न 3. ” इस समय उसकी आँखों के आगे न तो अँधेरा था और न ही उसे धरती और आकाश के बीच घुटन हुई । सनसंग व्याख्या करें ।
 उत्तर- प्रस्तुत पंक्तियाँ सिद्धहस्त कथाकार साँवर दइया की लेखनी से स्यूत ” धरती कबतक घूमेगी ‘ कहानी से उद्धृत हैं । बेटे और बहुओं के विषाक्त वातावरण में रहते सीता प्रायः अर्द्धविक्षुब्ध हो चुकी थी । उसे धरती और आकाश संकुचित दीख पड़ रहे थे क्योंकि मन का भाव ही मनुष्य बाह्य प्रकृति में देखता है । घर के घुटन ने उसे मानसिक अस्वस्थ बना दिया था । महीने – महीने पाली बदलकर तो उसने पाँच वर्षों की लम्बी अवधि काट दी पर 50 रु० प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह देने की बात से वह तिलमिला उठी और कठोर निर्णय ‘ लेते हुए अपने कुछ फटे – पुराने कपड़े लेकर उस घुटन – भरे घर से तड़के निकल पड़ी । इस समय मन शान्त और हृदय उद्वेग रहित था । उसकी आँखों के आगे अभी न तो अँधेरा था और न धरती – आकाश के बीच घुटन । उसका मन जैसे शांत और निर्मल हो गया प्रकृति भी वैसी ही दीख रही थी ।
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