Important questions for class 10th
इस पोस्ट मेंं आप लोग को विष के दांत कहानी के प्रश्नों का उत्तर दियाा जाएगा
Q1. विष के दांत शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए
/ विष के दांत कहानी का सारांश लिखें।
= विष के दांत शीर्षक महल और झोपड़ी की लड़ाई की कहानी है। मदन द्वारा पीटे जाने पर खोखा के जो दांत टूट जाते हैं वह अमीरों की प्रदर्शन-प्रियता और गरीबों पर उनके अत्याचार के विरुद्ध एक चेतावनी है, सशक्त विद्रोह है। यही इस कहानी का लक्ष्य है। अत: निसंदेह कहा जा सकता है कि विष के दांत इस दृष्टि से बड़ा ही सार्थक शीर्षक है। अमीरों के विष के दांत तोड़ कर मदन ने जिस उत्साह, ओज और आग का परिचय दिया है वह समाज के जाने कितने गिरधर लाल के लिए गर्व की बात है। इसमें लेखक द्वारा दिया गया संदेश मार्मिक बंद पड़ा है,।
Q2. खोखा किन मामलों में अपवाद था ?
= सेन साहब एक अमीर आदमी थे । अभी हाल में उन्होंने एक नई कार खरीदी थी । वह किसी को गाड़ी के पास फटकने नहीं देते थें। कहीं पर एक धब्बा दिख जाए तो क्लीनर और सोफर (driver) पर शामत आ जाती थी। लेकिन खोखा उनके बुढ़ापे का आंखों का तारा था । इसलिए मिसेज सेन ने उसे काफी छूट दे रखी थी। खोखा जीवन के नियम का जैसे अपवाद था और इसलिए यह भी स्वाभाविक था कि वह घर के नियमों का भी अपवाद था
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Q3.विष के दांत शीर्षक कहानी का नायक कौन है? तर्कपूर्ण उत्तर दें
= विष के दांत एक ललित निबंध है जिसमें समाज में व्याप्त विषमता को दर्शाया गया है । इसमें दिखाया गया है कि संपन्न, समृद्ध याा वैभवशाली वर्ग अहंकार बस अपने अधीन कार्यरत वर्ग को दबा कर रखताा है । दवा हुआ वर्ग अपने स्वामी की हां में हांं करता। लेकिन इस कहानी में मदन ऐसा पात्र है जो अहंकारी के अहंकार को सहन नहीं करता है। बल्कि उसका स्वाभिमान जागृृत होता है और वह खोखा जैसे बालक को ठोकर देकर कई वर्ष से दवे अपने पिता की आंखों खोल देता है । संपूर्णण कहानी में मदन की क्रांतिकारी भूमिका है। अत: इस कहानी का नायक मदन है।
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Q6.सेन साहब और उनके मित्रों के बीच क्या बातचीत हुई पत्रकार मित्र ने किस तरह उत्तर दिया?
= एक दिन सेन साहब अपने दोस्तों के साथ बैठकर गपशप कर रहे थे। उनमें एक साधारण हैसियत के पत्रकार भी मौजूद थे और साथ में उनका लड़का भी था, जो था तो खोखा से भी छोटा , पर बड़ा समझदार और होनहार मालूम पड़ता था। किसी ने उसकी कोई हरकत देखकर उसकी कुछ तारीफ कर दी और पत्रकार साहब से पूछा कि बच्चा स्कूल तो जाता ही होगा? इसके पहले कि पत्रकार महोदय कुछ जवाब देते हैं, सेन साहब ने शुरू कर दिया-मैं तो खोखा को इंजीनियर बनाने जा रहा हूं, और वही बातें दुहराकर थकते नहीं थे। पत्रकार महोदय चुपचाप मुस्कुराते रहें। जब उनसे फिर पूछा गया कि अपने बच्चे के विषय में उनका (पत्रकार महोदय) क्या ख्याल है, तो उन्होंने कहा की मैं चाहता हूं कि वह जेंटलमैन जरूर बने और जो कुछ बने, उसका काम है। उसे पूरी आजादी रहेगी, सेन साहब इस उत्तर को सुनकर ऐठकर रह गए।
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Q7. मदर और ड्राइवर के बीच की विवाद के द्वारा कहानीकार क्या बताना चाहते हैं?
=मदर और ड्राइवर के बीच विवाद के द्वारा कहानीकार बताना चाहते हैं कि अपने पर किए गए अत्याचार का विरोध करना पाप नहीं होता है। मदन शोषण, अन्याय तथा अत्याचार केे विरुद्ध प्रज्वलित प्रतिशोध का प्रतीक है।सेन साहब की नई चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध केेेेेे लिए मदन को सोफार (DRIVER) द्वारा घसीटा जाता हैै । यह गरीब बालक पर अत्याचार है। और मदन द्वारा उसका मुकाबला करना अत्याचार पर पर विजय प्राप्त करने का प्रयास है। दमनकारी नीति को जड़़ से उखाड़ने का प्रयास है।
Q8.ऐसे ही लड़के आगे चलकर गुंडे चोर और डाकू बनते हैं । कहानी में यह बात किसने बोली?
= प्रस्तुत अंश नलिन विलोचन शर्मा के विष के दांत शीर्षक से ली गई है। प्रस्तुत पंक्ति में सेन साहब के कथन के माध्यम से बताया गया है कि महलों में निवास करने वाले अपने को मर्यादित समझते हैं और झोपड़ी में रहने वाले को दमन करने में अपना शान समझते हैं। और उन्हें अपना बच्चा होनहार इंजीनियर दिखाई देता है। और जब की झोपड़ी में पलने वाला प्रतिभावान बच्चा भाभी गुंडा चोर और डाकू नजर आता है । साहस के साथ अन्याय अत्याचार का विरोध करने वाला नालायक कहलाता है।सेन साहब की नई चमकती काली गाड़ी को केवल छूने भर के तथाकथित अपराध के लिए मदन के प्रति ऐसे शब्द कह कर उसके पिता को प्रताड़ित किया जाता है।
अथवा/ हम साफ शब्दों में कह सकते हैं कि यह बात सेन साहब द्वारा बोला गया है
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Q10. कहानी विष के दांत में इस वाक्य का सप्रसंग व्याख्या करें — लड़कियां क्या हैं, कठपुतलियां हैं और उनके माता-पिता को इस बात का गर्व है ।
= इस वाक्य में सेन साहब की लड़कियों के बारे में चर्चा किया गया है। उनकी 5 लड़कियां थी। पांचो सुशील, तहजीब और तमीज की जीती-जागती मूरत थी। सेन दंपति ने उन्हें क्या करना चाहिए की जगह क्या नहीं करना चाहिए की बात सिखाने पर अधिक ध्यान दिया है। उनकी बच्चियां कठपुतली मात्र बनकर रह गई है। इन पंक्तियों के माध्ययम से बेटा-बेटी में होने वाले भेदभाव पर प्रकाश डाला गया है।
अत: माता-पिता को इसकी चिंता नहीं है कि लड़कियों को विकास का सुअवसर मिले, बल्कि उनका सीमित जीवनशैली ही उनके लिए
(माता-पिता) गौरव की बात है।