Educationalpoints essay on exam of phobia in hindi
परीक्षा का भय
इस पोस्ट में आप लोगों को परीक्षा का भय पर लेख मिलेगा।
यह लेख कक्षा 10 के विद्यार्थियों के लिए अति महत्वपूर्ण है।
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EDUCATIONALPOINTS |
भूमिका – ईसा के अनुसार , ” हे प्रभु मुझे परीक्षा में न डाल । ” संसार में अधिकांश व्यक्ति स्वयं को विचारवान , बुद्धिमान तथा दूसरों की अपेक्षा श्रेष्ठ समझते हैं । परन्तु व्यक्ति की वास्तविकता की पहचान तो परीक्षा होने पर ही होती है । प्रत्येक व्यक्ति को जीवन में अपनी परीक्षाओं से गुजरना पड़ता है । सच्चरित्र तथा आत्मविश्वास से युक्त व्यक्ति इन परीक्षाओं में सफल होते हैं परन्तु अधिकतर व्यक्ति परीक्षा के समय धैर्य खो बैठते हैं ।
भय क्यो ? —विद्यार्थी जीवन में लगभग सभी छात्र परीक्षा से भयभीत रहते हैं । अनेक विद्यार्थी वार्षिक परीक्षा से पहले अस्वस्थ हो जाते हैं । पढ़ाई से जी चुराने वाले छात्र तो परीक्षा से भयभीत होते हैं , पढ़ाई में निरंतर जुटे रहने वाले छात्र भी परीक्षा के समय प्रायः भयमुक्त नहीं होते हैं । जिन छात्रों में आत्म – विश्वास का अभाव होता है वे परीक्षा को किसी भूत से कम नहीं समझते । कई बार कुछ लोग साधारण – सी प्रतीत होने वाली परीक्षाओं में असफल होते हैं । कई लोग थोड़े से धन के लोभ के कारण अनेक वर्ष कष्ट झेलते हैं । कई कर्मचारी सौ रुपये की रिश्वत लेते हुए पकड़े जाते हैं तथा उन्हें नौकरी से हाथ धोना पड़ता है । वे बाद में सोचते हैं कि वे लोभ की उस परीक्षा – घड़ी में स्वयं पर नियंत्रण रखते तो उन पर विपत्ति नहीं पड़ती ।
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भय के दुष्प्रभाव- कई बार साधारण से प्रतीत होने वाले व्यक्ति जीवन की परीक्षा में सफल होते हैं । वे समाज का हित करने के लिए अपने प्राण तक न्योछावर करने को प्रस्तुत हो जाते हैं । कुछ समय पूर्व छात्रों से भरी एक बस यमुना नदी में गिर पड़ी थी । ऐसी विषम स्थिति में अपने प्राणों की चिन्ता न करते हुए एक मल्लाह ने अपने छात्रों की प्राण रक्षा की ।
माता – पिता और गुरु का दायित्व– जब व्यक्ति को काम , क्रोध अथवा लोभ की आँधी घेर लेती है तो वह समय उसकी परीक्षा का ही होता है । व्यक्ति यदि उस समय असफल होता है तो उसे भयंकर अपमान झेलना पड़ता है । सोने की परीक्षा अग्नि में तपने पर ही होती है । इसी प्रकार विपत्ति के समय धैर्य का अवलम्ब ग्रहण करके ही व्यक्ति जीवन की परीक्षा में सफल होता है । माता – पिता और गुरु का दायित्व है कि वे परीक्षार्थी को ऐसी ही सीख दें ।
उपसंहार – आत्म – विश्वास , धैर्य , परिश्रम और नि : स्वार्थ प्रेम आदि गुणों से युक्त व्यक्ति जीवन की परीक्षा में अंततः सफल होता है । परीक्षा से ही व्यक्ति के व्यक्तित्व की वास्तविक पहचान होती है । विपत्ति के क्षणों में विपरीत परिस्थितियों से धैर्यपूर्वक संघर्ष करने वाला व्यक्ति ही जीवन की परीक्षा में उत्तीर्ण होता है ।