EDUCATIONAL POINTS CLASS 10TH HISTORY का चैप्टर हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर

EDUCATIONAL POINTS CLASS 10TH HISTORY का चैप्टर हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर
EDUCATIONAL POINTS CLASS 10TH HISTORY

प्रश्न 1. हिन्द – चीन के गृहयुद्ध का वर्णन करें ।

उत्तर – हिन्द – चीन में उथल – पुथल को जेनेवा समझौता ने तात्कालिक रूप से कुछ शांति अवश्य दी , परन्तु तुरंत ही हिन्द – चीन में उथल – पुथल आरंभ हो गई , क्योंकि उत्तरी वियतनाम में हो – ची – मिन्ह की सरकार सुदृढ़ हो गयी और पूरे वियतनाम के एकीकरण पर विचार करने लगी परन्तु दक्षिणी वियतनाम की स्थिति इसके विपरीत थी क्योंकि बाओदाई सरकार का संचालन न्यो – दिन्ह – दियम के हाथों में था , जो अमेरिकापरस्त था । हालाँकि न्यो – दिन्ह – दियम एक कुशल प्रशासक था , परन्तु फ्रांसीसी सेना के हटते ही दक्षिणी वियतनाम में गृहयुद्ध की स्थिति बनी तो बाओदाई सरकार का तख्ता पलटकर स्वयं शासक बन गया । इन दिनों दक्षिणी वियतनाम में साम्यवादियों के साथ – साथ तीनों सौतेला भाईयों ने लाओस पर अपनी राजनीतिक पकड़ के लिए अलग – अलग रास्ते अपना लिए थे । इनमें पहला राजकुमार सुवन्न फूमा तटस्थतावादी था , दूसरा राजकुमार सुफन्न बोंग जो पाथेट लाओ नाम से प्रसिद्ध था । अपना सैन्य संगठन बनाकर उत्तरी वियतनाम की तरह लाओस में साम्यवादी व्यवस्था लाना चाहता था , तीसरा राजकुमार जेनरल फूमी नौसवान दक्षिणपंथी था । इन तीनों के मध्य वर्चस्व की लड़ाई ही लाओस की अस्थिरता का कारण थी । सोवियत संघ और अमेरिका द्वारा क्रमशः पाथेट लाओ और फूमी नौसवान को समर्थन दिए जाने से स्थिति और उलझ गई

प्रश्न 2. हिन्द – चीन क्षेत्र में उपनिवेश स्थापना का क्या उद्देश्य था ?
 
अथवा , हिन्द – चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश – स्थापना के किन्हीं तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें । (VVI)

उत्तर– फ्रांसीसी कंपनियों का उद्देश्य – पिछड़े क्षेत्रों को उपनिवेश बनाना होता था । एशिया में फ्रांस को डच एवं ब्रिटिश कंपनियों से तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था । भारत में वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से पिछड़ रहे थे । साथ ही , चीन में भी उनकी स्थिति असुरक्षित थी । हिन्द – चीन क्षेत्र प्रायद्वीपीय क्षेत्र था । यह व्यापार एवं सामरिक दृष्टि से न महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था । यह क्षेत्र हिन्द महासागर एवं प्रशांत महासागर के मिलन क्षेत्र पर अवस्थित था जिसके कारण इस प्रदेश पर नियंत्रण का अर्थ था यूरोप से समुद्री मार्ग द्वारा चीन , जापान , कोरिया एवं आस्ट्रेलिया महादेश तक पहुँचने के मार्ग पर नियंत्रण । साथ ही यह क्षेत्र मसाला – लौंग , ईलायची , दालचीनी इत्यादि के उत्पादन में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता था । यहाँ पर श्रम के सस्ता होने के कारण फ्रांसीसी लोग गुलाम बनाकर अन्य उपनिवेशों में भेजना एवं गुलाम व्यापार से आर्थिक लाभ हो रहा था । व्यापारिक लाभ के अलावा उन्नीसवीं सदी में औद्योगिक क्रांति के कारण उपनिवेशों का महत्त्व काफी बढ़ गया । वे कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता के साथ – साथ यूरोपीय उत्पादित वस्तुओं के लिए अच्छा बाजार बन सकते थे । उपनिवेश – स्थापना का एक अन्य कारण ‘ श्वेत लोगों के बोझ का सिद्धांत ‘ ( White Men’s Burden Theory ) था । इसके अंतर्गत विश्व के पिछड़े समाजों को सभ्य बनाने का स्वघोषित दायित्व विकसित यूरोपीय देशों पर था ।

प्रश्न 3. हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।

उत्तर – हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास – हिन्द – चीन में फ्रांस के खिलाफ विरोध के स्वर साम्राज्य स्थापना के समय से ही उठ रहे थे , किन्तु बीसवीं सदी के प्रारम्भ से यह तीव्र हो गया । 1903 ई . में फान – बोई – चाऊ ने लुई – तान -होई नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की । फान ने ‘ हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम ‘ लिखकर राष्ट्रीयता की भावना को जगाया । कुआंग दें इस संगठन के एक प्रसिद्ध नेता थे । 1905 ई ० में एशियाई देश जापान द्वारा रूस को पराजित किया जाना हिन्द – चीनियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया । साथ ही , रूसो एवं मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के स्वतंत्रता , समानता एवं बंधुत्व संबंधी विचारों ने भी इन्हें उद्वेलित किया । राष्ट्रवादी नेता फान – ए – चिन्ह ने राष्ट्रवादी आंदोलन को गणतांत्रिक स्वरूप देने का प्रयास किया । जापान से शिक्षा प्राप्त कर लौटे छात्र प्रगतिशील यूरोपीय विचारों से ओत – प्रोत थे । उन्होंने छात्र – छात्राओं में राष्ट्रवादी भावना उभारने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । बढ़ती विद्रोही भावनाओं के फलस्वरूप फ्रांसीसियों ने हनोई विश्वविद्यालय को बंद कर दिया । 1911 ई ० में सनयात सेन के नेतृत्व में चीन के सत्ता परिवर्तन ने छात्राओं को प्रोत्साहित किया जिससे इन छात्रों ने
 ‘ वियतनाम कुबान फुक होई ‘ ( वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन ) की स्थापना की । प्रारम्भ में हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद का विकास तोकिन , अन्नाम , कोचीन – चीन जैसे शहरों तक ही सीमित था । प्रथम विश्वयुद्ध ( 1914-18 ) के समय युद्ध में लड़ने के लिए हजारों लोगों को भर्ती किया गया , साथ ही हजारों लोगों को बेगार के लिए फ्रांस ले जाया गया । युद्ध में भारी जान – माल के नुकसान से जन – अंसतोष उभरा । युद्ध – उपरांत बचे सिपाही वापस आए तो उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया । 1914 ई ० में ही देशभक्तों ने वियतनामी राष्ट्रवादी दल ‘ गठित किया जिसका प्रथम अधिवेशन कैण्टन में आयोजित हुआ । लेकिन , फ्रांसीसी सरकार ने कठोरतापूर्वक विरोध को दबा दिया । प्रथम विश्वयुद्ध का आर्थिक प्रभाव भी काफी महत्त्वपूर्ण था । आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से जनता में असंतोष बढ़ गया । चूँकि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर चीनी लोगों का प्रभुत्व था , अतः 1919 में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार प्रारम्भ हुआ । हिन्द – चीन में राष्ट्रीयता के विकास को वास्तविक गति साम्यवादी विचारों से मिली।

प्रश्न 4. फ्रांसीसी शोषण के साथ – साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करें।

उत्तर – फ्रांस द्वारा औपनिवेशिक शोषण एवं उसका प्रभाव — फ्रांसीसियों द्वारा शोषण की शुरुआत व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से हुई । शीघ्र ही उन्होंने अपने शोषण के दायरे में भीतरी ग्रामीण क्षेत्र को भी खींच लिया । यह पूरा क्षेत्र नदी – घाटियों का क्षेत्र होने के कारण काफी उपजाऊ था । तोंकिन में लाल घाटी क्षेत्र , कंबोडिया में मेकांग नदी क्षेत्र , कोचीन – चीन में मेकांग का डेल्टा क्षेत्र कृषि के लिए , विशेषकर धान की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त था । कृषि के अलावा चीन से सटे क्षेत्रों में कोयला , टिन , जस्ता , टंगस्टन जैसे खनिजों का दोहन किया गया । इस क्षेत्र के व्यवस्थित शोषण के लिए फ्रांसीसियों ने कृषिकार्य को प्रोत्साहन दिया । कृषि – उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों एवं जल – निकासी का समुचित प्रबंध किया । कृषि भूमि के विस्तार के लिए दलदली भूमि , जंगलों को कृषियोग्य बनाया गया । इन कार्यों के परिणामस्वरूप 1931 ई ० तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल – निर्यातक बन गया । कृषि – उत्पादन में वृद्धि से आम लोगों को फायदा होना चाहिए था , किन्तु ऐसा नहीं हुआ । फ्रांसीसी शोषणमूलक उपायों से कृषि – उत्पादन का अधिकांश लाभ स्वयं हड़प जाते थे । रबड़ बागानों में मजदूरों के शोषण के लिए उनसे ‘ एकतरफा अनुबंध व्यवस्था ‘ पर काम लिया जाता था । यह एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी जिसमें मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था ।

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प्रश्न 5. अमेरिका हिन्द – चीन में कैसे घुसा ? चर्चा करें ।

उत्तर – वियतनामी गृह – युद्ध में अमेरिकी हस्तक्षेप , जेनेवा समझौता ने वियतनाम के बँटवारा द्वारा इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने की कोशिश की थी , किन्तु दोनों वियतनामों में अलग – अलग तरह की सरकारें होने से स्थाई शांति की उम्मीद कम थी । समझौते में जनमत संग्रह कराकर दोनों के एकीकरण का भी प्रावधान था , किन्तु ऐसा नहीं हो पा रहा था । वियतनामी जनता एकीकरण के पक्ष में थी , उत्तरी वियतनाम भी ऐसा चाहता था किन्तु दक्षिणी वियतनामी सरकार अपनी सत्ता खोने के डर से इससे लगातार इनकार करती रही । शुरू में दक्षिणी वियतनाम की जनता शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण के लिए प्रयासरत थी । इसमें असफल होने पर 1960 में वियतकांग ( राष्ट्रीय मुक्ति सेना ) का गठन किया गया जो हिंसात्मक तरीका से एकीकरण का प्रयास करने लगा । 1961 में दक्षिणी वियतनाम में स्थिति बिगड़ने पर आपातकाल की घोषणा की गई और वहाँ गृहयुद्ध शुरू हो गया । साम्यवाद को रोकने के नाम पर अमेरिका वियतनामी मामले में प्रत्यक्षतः कूद पड़ा । उसने सितम्बर , 1961 में एक श्वेतपत्र ( शीर्षक था , शांति को खतरा ) जारी कर हो – ची – मिन्ह को इस गृहयुद्ध के लिए जिम्मेवार बताया और दक्षिणी वियतनामी सरकार को सैनिक सहायता के नाम पर अपने सैनिक भेजने लगा । न्यो – चिन्ह – दियम सरकार अत्याचारी और भ्रष्ट थी । 1963 में दियम सरकार का तख्ता पलटकर सेना के जनरल न्गू रुनवान थिऊ ने सत्ता संभाली । यह स्थिति अमेरिका के लिए पूर्णतः अनुकूल थी । उसकी सहमति पर लगभग पाँच लाख अमेरिकी सैनिक वियतनाम पहुँच गये । अमेरिका ने वियतनाम के विरुद्ध इस संघर्ष में अपनी भीषण सैन्य शक्ति का उपयोग किया । उसने खतरनाक हथियारों , टैंकों एवं बमवर्षक विमानों का व्यापक प्रयोग किया । 1967 तक इस क्षेत्र पर इतने बम गिराए गए जितने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इंगलैंड पर भी नहीं गिराए थे । साथ ही , उसने रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया जो अत्यंत घातक एवं पर्यावरण के लिए विषैले थे । रासायनिक हथियारों में नापाम बम , एजेंट ऑरेंज , फॉस्फोरस बम अत्यंत कुख्यात थे इस युद्ध में अमेरिका का विरोध उत्तरी वियतनाम के साथ – साथ वियतकांग एवं उसकी समर्थक दक्षिणी वियतनामी जनता ने किया । अमेरिकी सैनिकों ने अत्यंत बर्बरता दिखाई । निहत्थे ग्रामीणों को घेरकर मार दिया जाता था । उनकी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार होता था , फिर उन्हें भी मार डालते थे और गाँव को आग लगा देते थे । माई – ली ऐसा ही एक गाँव था जहाँ एक बूढ़े व्यक्ति के जिन्दा बच जाने से इस तरह की बर्बरता का पता चला । ।

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SUBJECT
HISTORY
CHEPTR हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन
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WRITER RUDRA RAJ

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