प्रश्न 1. हिन्द – चीन के गृहयुद्ध का वर्णन करें ।
उत्तर – हिन्द – चीन में उथल – पुथल को जेनेवा समझौता ने तात्कालिक रूप से कुछ शांति अवश्य दी , परन्तु तुरंत ही हिन्द – चीन में उथल – पुथल आरंभ हो गई , क्योंकि उत्तरी वियतनाम में हो – ची – मिन्ह की सरकार सुदृढ़ हो गयी और पूरे वियतनाम के एकीकरण पर विचार करने लगी परन्तु दक्षिणी वियतनाम की स्थिति इसके विपरीत थी क्योंकि बाओदाई सरकार का संचालन न्यो – दिन्ह – दियम के हाथों में था , जो अमेरिकापरस्त था । हालाँकि न्यो – दिन्ह – दियम एक कुशल प्रशासक था , परन्तु फ्रांसीसी सेना के हटते ही दक्षिणी वियतनाम में गृहयुद्ध की स्थिति बनी तो बाओदाई सरकार का तख्ता पलटकर स्वयं शासक बन गया । इन दिनों दक्षिणी वियतनाम में साम्यवादियों के साथ – साथ तीनों सौतेला भाईयों ने लाओस पर अपनी राजनीतिक पकड़ के लिए अलग – अलग रास्ते अपना लिए थे । इनमें पहला राजकुमार सुवन्न फूमा तटस्थतावादी था , दूसरा राजकुमार सुफन्न बोंग जो पाथेट लाओ नाम से प्रसिद्ध था । अपना सैन्य संगठन बनाकर उत्तरी वियतनाम की तरह लाओस में साम्यवादी व्यवस्था लाना चाहता था , तीसरा राजकुमार जेनरल फूमी नौसवान दक्षिणपंथी था । इन तीनों के मध्य वर्चस्व की लड़ाई ही लाओस की अस्थिरता का कारण थी । सोवियत संघ और अमेरिका द्वारा क्रमशः पाथेट लाओ और फूमी नौसवान को समर्थन दिए जाने से स्थिति और उलझ गई
प्रश्न 2. हिन्द – चीन क्षेत्र में उपनिवेश स्थापना का क्या उद्देश्य था ?
अथवा , हिन्द – चीन में फ्रांसीसियों द्वारा उपनिवेश – स्थापना के किन्हीं तीन उद्देश्यों का उल्लेख करें । (VVI)
उत्तर– फ्रांसीसी कंपनियों का उद्देश्य – पिछड़े क्षेत्रों को उपनिवेश बनाना होता था । एशिया में फ्रांस को डच एवं ब्रिटिश कंपनियों से तीव्र प्रतिस्पर्धा का सामना करना पड़ रहा था । भारत में वे ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी से पिछड़ रहे थे । साथ ही , चीन में भी उनकी स्थिति असुरक्षित थी । हिन्द – चीन क्षेत्र प्रायद्वीपीय क्षेत्र था । यह व्यापार एवं सामरिक दृष्टि से न महत्त्वपूर्ण क्षेत्र था । यह क्षेत्र हिन्द महासागर एवं प्रशांत महासागर के मिलन क्षेत्र पर अवस्थित था जिसके कारण इस प्रदेश पर नियंत्रण का अर्थ था यूरोप से समुद्री मार्ग द्वारा चीन , जापान , कोरिया एवं आस्ट्रेलिया महादेश तक पहुँचने के मार्ग पर नियंत्रण । साथ ही यह क्षेत्र मसाला – लौंग , ईलायची , दालचीनी इत्यादि के उत्पादन में भी महत्त्वपूर्ण स्थान रखता था । यहाँ पर श्रम के सस्ता होने के कारण फ्रांसीसी लोग गुलाम बनाकर अन्य उपनिवेशों में भेजना एवं गुलाम व्यापार से आर्थिक लाभ हो रहा था । व्यापारिक लाभ के अलावा उन्नीसवीं सदी में औद्योगिक क्रांति के कारण उपनिवेशों का महत्त्व काफी बढ़ गया । वे कच्चे माल के आपूर्तिकर्ता के साथ – साथ यूरोपीय उत्पादित वस्तुओं के लिए अच्छा बाजार बन सकते थे । उपनिवेश – स्थापना का एक अन्य कारण ‘ श्वेत लोगों के बोझ का सिद्धांत ‘ ( White Men’s Burden Theory ) था । इसके अंतर्गत विश्व के पिछड़े समाजों को सभ्य बनाने का स्वघोषित दायित्व विकसित यूरोपीय देशों पर था ।
प्रश्न 3. हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद के विकास का वर्णन करें।
उत्तर – हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद का उदय एवं विकास – हिन्द – चीन में फ्रांस के खिलाफ विरोध के स्वर साम्राज्य स्थापना के समय से ही उठ रहे थे , किन्तु बीसवीं सदी के प्रारम्भ से यह तीव्र हो गया । 1903 ई . में फान – बोई – चाऊ ने लुई – तान -होई नामक क्रांतिकारी संगठन की स्थापना की । फान ने ‘ हिस्ट्री ऑफ द लॉस ऑफ वियतनाम ‘ लिखकर राष्ट्रीयता की भावना को जगाया । कुआंग दें इस संगठन के एक प्रसिद्ध नेता थे । 1905 ई ० में एशियाई देश जापान द्वारा रूस को पराजित किया जाना हिन्द – चीनियों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया । साथ ही , रूसो एवं मांटेस्क्यू जैसे फ्रांसीसी विचारकों के स्वतंत्रता , समानता एवं बंधुत्व संबंधी विचारों ने भी इन्हें उद्वेलित किया । राष्ट्रवादी नेता फान – ए – चिन्ह ने राष्ट्रवादी आंदोलन को गणतांत्रिक स्वरूप देने का प्रयास किया । जापान से शिक्षा प्राप्त कर लौटे छात्र प्रगतिशील यूरोपीय विचारों से ओत – प्रोत थे । उन्होंने छात्र – छात्राओं में राष्ट्रवादी भावना उभारने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया । बढ़ती विद्रोही भावनाओं के फलस्वरूप फ्रांसीसियों ने हनोई विश्वविद्यालय को बंद कर दिया । 1911 ई ० में सनयात सेन के नेतृत्व में चीन के सत्ता परिवर्तन ने छात्राओं को प्रोत्साहित किया जिससे इन छात्रों ने
‘ वियतनाम कुबान फुक होई ‘ ( वियतनाम मुक्ति एसोसिएशन ) की स्थापना की । प्रारम्भ में हिन्द – चीन में राष्ट्रवाद का विकास तोकिन , अन्नाम , कोचीन – चीन जैसे शहरों तक ही सीमित था । प्रथम विश्वयुद्ध ( 1914-18 ) के समय युद्ध में लड़ने के लिए हजारों लोगों को भर्ती किया गया , साथ ही हजारों लोगों को बेगार के लिए फ्रांस ले जाया गया । युद्ध में भारी जान – माल के नुकसान से जन – अंसतोष उभरा । युद्ध – उपरांत बचे सिपाही वापस आए तो उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों में राष्ट्रीयता का प्रसार किया । 1914 ई ० में ही देशभक्तों ने वियतनामी राष्ट्रवादी दल ‘ गठित किया जिसका प्रथम अधिवेशन कैण्टन में आयोजित हुआ । लेकिन , फ्रांसीसी सरकार ने कठोरतापूर्वक विरोध को दबा दिया । प्रथम विश्वयुद्ध का आर्थिक प्रभाव भी काफी महत्त्वपूर्ण था । आवश्यक वस्तुओं के दाम बढ़ने से जनता में असंतोष बढ़ गया । चूँकि इस क्षेत्र की अर्थव्यवस्था पर चीनी लोगों का प्रभुत्व था , अतः 1919 में चीनी वस्तुओं का बहिष्कार प्रारम्भ हुआ । हिन्द – चीन में राष्ट्रीयता के विकास को वास्तविक गति साम्यवादी विचारों से मिली।
प्रश्न 4. फ्रांसीसी शोषण के साथ – साथ उसके द्वारा किये गये सकारात्मक कार्यों की समीक्षा करें।
उत्तर – फ्रांस द्वारा औपनिवेशिक शोषण एवं उसका प्रभाव — फ्रांसीसियों द्वारा शोषण की शुरुआत व्यापारिक नगरों एवं बंदरगाहों से हुई । शीघ्र ही उन्होंने अपने शोषण के दायरे में भीतरी ग्रामीण क्षेत्र को भी खींच लिया । यह पूरा क्षेत्र नदी – घाटियों का क्षेत्र होने के कारण काफी उपजाऊ था । तोंकिन में लाल घाटी क्षेत्र , कंबोडिया में मेकांग नदी क्षेत्र , कोचीन – चीन में मेकांग का डेल्टा क्षेत्र कृषि के लिए , विशेषकर धान की खेती के लिए अत्यंत उपयुक्त था । कृषि के अलावा चीन से सटे क्षेत्रों में कोयला , टिन , जस्ता , टंगस्टन जैसे खनिजों का दोहन किया गया । इस क्षेत्र के व्यवस्थित शोषण के लिए फ्रांसीसियों ने कृषिकार्य को प्रोत्साहन दिया । कृषि – उत्पादकता बढ़ाने के लिए नहरों एवं जल – निकासी का समुचित प्रबंध किया । कृषि भूमि के विस्तार के लिए दलदली भूमि , जंगलों को कृषियोग्य बनाया गया । इन कार्यों के परिणामस्वरूप 1931 ई ० तक वियतनाम विश्व का तीसरा बड़ा चावल – निर्यातक बन गया । कृषि – उत्पादन में वृद्धि से आम लोगों को फायदा होना चाहिए था , किन्तु ऐसा नहीं हुआ । फ्रांसीसी शोषणमूलक उपायों से कृषि – उत्पादन का अधिकांश लाभ स्वयं हड़प जाते थे । रबड़ बागानों में मजदूरों के शोषण के लिए उनसे ‘ एकतरफा अनुबंध व्यवस्था ‘ पर काम लिया जाता था । यह एक तरह की बंधुआ मजदूरी थी जिसमें मजदूरों को कोई अधिकार नहीं था ।
प्रश्न 5. अमेरिका हिन्द – चीन में कैसे घुसा ? चर्चा करें ।
उत्तर – वियतनामी गृह – युद्ध में अमेरिकी हस्तक्षेप , जेनेवा समझौता ने वियतनाम के बँटवारा द्वारा इस क्षेत्र में शांति स्थापित करने की कोशिश की थी , किन्तु दोनों वियतनामों में अलग – अलग तरह की सरकारें होने से स्थाई शांति की उम्मीद कम थी । समझौते में जनमत संग्रह कराकर दोनों के एकीकरण का भी प्रावधान था , किन्तु ऐसा नहीं हो पा रहा था । वियतनामी जनता एकीकरण के पक्ष में थी , उत्तरी वियतनाम भी ऐसा चाहता था किन्तु दक्षिणी वियतनामी सरकार अपनी सत्ता खोने के डर से इससे लगातार इनकार करती रही । शुरू में दक्षिणी वियतनाम की जनता शांतिपूर्ण तरीके से एकीकरण के लिए प्रयासरत थी । इसमें असफल होने पर 1960 में वियतकांग ( राष्ट्रीय मुक्ति सेना ) का गठन किया गया जो हिंसात्मक तरीका से एकीकरण का प्रयास करने लगा । 1961 में दक्षिणी वियतनाम में स्थिति बिगड़ने पर आपातकाल की घोषणा की गई और वहाँ गृहयुद्ध शुरू हो गया । साम्यवाद को रोकने के नाम पर अमेरिका वियतनामी मामले में प्रत्यक्षतः कूद पड़ा । उसने सितम्बर , 1961 में एक श्वेतपत्र ( शीर्षक था , शांति को खतरा ) जारी कर हो – ची – मिन्ह को इस गृहयुद्ध के लिए जिम्मेवार बताया और दक्षिणी वियतनामी सरकार को सैनिक सहायता के नाम पर अपने सैनिक भेजने लगा । न्यो – चिन्ह – दियम सरकार अत्याचारी और भ्रष्ट थी । 1963 में दियम सरकार का तख्ता पलटकर सेना के जनरल न्गू रुनवान थिऊ ने सत्ता संभाली । यह स्थिति अमेरिका के लिए पूर्णतः अनुकूल थी । उसकी सहमति पर लगभग पाँच लाख अमेरिकी सैनिक वियतनाम पहुँच गये । अमेरिका ने वियतनाम के विरुद्ध इस संघर्ष में अपनी भीषण सैन्य शक्ति का उपयोग किया । उसने खतरनाक हथियारों , टैंकों एवं बमवर्षक विमानों का व्यापक प्रयोग किया । 1967 तक इस क्षेत्र पर इतने बम गिराए गए जितने द्वितीय विश्वयुद्ध में जर्मनी ने इंगलैंड पर भी नहीं गिराए थे । साथ ही , उसने रासायनिक हथियारों का भी प्रयोग किया जो अत्यंत घातक एवं पर्यावरण के लिए विषैले थे । रासायनिक हथियारों में नापाम बम , एजेंट ऑरेंज , फॉस्फोरस बम अत्यंत कुख्यात थे इस युद्ध में अमेरिका का विरोध उत्तरी वियतनाम के साथ – साथ वियतकांग एवं उसकी समर्थक दक्षिणी वियतनामी जनता ने किया । अमेरिकी सैनिकों ने अत्यंत बर्बरता दिखाई । निहत्थे ग्रामीणों को घेरकर मार दिया जाता था । उनकी महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार होता था , फिर उन्हें भी मार डालते थे और गाँव को आग लगा देते थे । माई – ली ऐसा ही एक गाँव था जहाँ एक बूढ़े व्यक्ति के जिन्दा बच जाने से इस तरह की बर्बरता का पता चला । ।
EDUCATIONAL POINTS CLASS 10TH HISTORY का चैप्टर हिंद चीन में राष्ट्रवादी आंदोलन के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर