HISTORY OF INDIA IN HINDI BY EDUCATIONAL POINTS
भारत का इतिहास हिंदी में
PART-2
EDUCATIONAL POINTS
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NOTE:-This is Part 2 Don’t forget to read Part 3 and part1
इस पोस्ट में निम्न बिंदुओं पर विचार किया गया है।⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️⬇️
- मौर्योत्तर काल ( शुंग – सातवाहन से कनिष्क तक )
- गुप्त वंश
- गुप्तोत्तर काल (हर्षवर्धन काल)
प्राचीन भारत का इतिहास
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HISTORY OF INDIA IN HINDI
1.मौर्योत्तर काल ( शुंग – सातवाहन से कनिष्क तक)
- मौर्यवंश के अन्तिम शासक बृहद्रथ की हत्या कर पुष्यमित्र शुंग(185ई.पू) ने , शुंग वंश की स्थापना की ।
- पुष्यमित्र शुंग ने पाटलिपुत्र के स्थान पर उज्जयिनी ( विदिशा ) को अपनी राजधानी बनाया ।
- शुंगवंश के काल में पंतजलि ने अष्टाध्यायी की रचना की ।
- शुंगवंश का अन्तिम शासक देवभूति था जिसकी हत्या कर वासुदेव ने , कण्व वंश की स्थापना की ।
- अन्तिम कण्व शासक शुशर्मा की हत्या कर सिमुक ने सातवाहन वंश की स्थापना की । इस वंश का प्रतापी शासक गौतमी पुत्र शातकर्णी था ।
- • सातवाहन के बाद इक्ष्वाकु वंश तथा चेदि वंश का शासन भी आया । चेदि वंश के शासक खारवेल की जानकारी हाथी गुम्फा अभिलेख से मिलती है।
- इसके पश्चात् हिन्दू – यवन शासकों का शासन काल आया । जिन्हें इण्डो – ग्रीक , हिन्दू – यवन के नाम से जानते हैं ।
- हिन्दू – यूनानी शासकों में मिनाण्ड सबसे प्रसिद्ध था जिसने नागसेन से बौद्ध धर्म की दीक्षा ली जिसकी जानकारी हमें मिलिन्दपन्हो नामक ग्रन्थ से मिलती है ।
- हिन्दू – यूनानियों ने ही सबसे पहले भारत में सोने के सिक्के जारी किए थे ।
- हिन्दू – यूनानी के पश्चात् भारत पर शकों ने , तत्पश्चात् कुषाणों ने शासन किया ।
- कुषाणों का सर्वप्रथम शासक कनिष्क ( द्वितीय अशोक ) था जो बौद्ध धर्म का अनुयायी था एवं इसके काल में चतुर्थ बौद्ध संगीति का आयोजन कश्मीर में हुआ था ।
- कनिष्क ने 78 ई . में अपने राज्यारोहण से शक संवत् की शुरुआत की ।
- कनिष्क के दरबार में अश्वघोष , नागार्जुन , चरक ( चरक संहिता ) जैसे विद्वान् थे ।
HISTORY OF INDIA IN HINDI
2.गुप्त वंश
- कुषाण वंश के पतन के बाद उत्तर भारत में गुप्त वंश का शासन आया।
- गुप्त वंश का संस्थापक श्रीगुप्त था । इस वंश के शासकों में चन्द्रगुप्त प्रथम , समुद्रगुप्त , चन्द्रगुप्त द्वितीय , कुमारगुप्त प्रथम , स्कन्दगुप्त , प्रमुख महत्त्वपूर्ण शासक थे ।
- गुप्त वंश का प्रथम महत्त्वपूर्ण शासक चन्द्रगुप्त प्रथम था ।
- चन्द्रगुप्त प्रथम ( 319-335 ई . ) ने 320 ई . में गुप्त सम्वत् की शुरुआत की । उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की थी ।
- चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया था , जो उस समय की महत्त्वपूर्ण घटना थी ।
- चन्द्रगुप्त प्रथम के बाद समुद्रगुप्त गुप्त वंश का शासक बना ।
- समुद्रगुप्त ( 335-375 ई . ) , चन्द्रगुप्त प्रथम का पुत्र था । वी.ए. स्मिथ ने उसे भारत का नेपोलियन कहा है ।
- समुद्रगुप्त की विजयों और उसके बारे में जानकारी के स्रोत उसके दरबारी कवि हरिषेण द्वारा रचित प्रयाग प्रशस्ति या इलाहाबाद स्तम्भ अभिलेख हैं , जिसमें भारत वर्ष शब्द का उल्लेख है ।
- समुद्रगुप्त के सिक्कों पर उसे वीणा बजाते हुए दिखाया गया है ।
- समुद्रगुप्त के बाद चन्द्रगुप्त द्वितीय गुप्त साम्राज्य का शासक बना ।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ( 375-415 ई . ) का काल गुप्तकाल में साहित्य और कला का स्वर्ण काल कहा जाता है ।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय ने शकों को पराजित कर विक्रमादित्य की उपाधि धारण की तथा चाँदी के सिक्के चलाए । .
- • चन्द्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में चीनी यात्री फाह्यान ( 399-412 ई . ) भारत आया था ।
- उसके दरबार में नौ विद्वानों की मण्डली थी जिसे ‘ नवरत्न ‘ कहा जाता था । इन नवरत्न में कालिदास , अमर सिंह आदि शामिल थे ।
- चन्द्रगुप्त द्वितीय के बाद कुमारगुप्त प्रथम शासक बना ।
- कुमारगुप्त प्रथम ( 145-455 ई . ) के समय में नालन्दा विश्वविद्यालय की स्थापना की गई थी । यह शिक्षा का महत्त्वपूर्ण केन्द्र था ।
- कुमारगुप्त के बाद स्कन्दगुप्त ने शासन किया ।
- गुप्त काल में विष्णु शर्मा ने पंचतन्त्र और कालिदास ने मेघदूत , अभिज्ञानशाकुन्तलम , ऋतुसंहार जैसी पुस्तकों की रचना की थी ।
- आर्यभट्ट नामक खगोलशास्त्री , वराहमिहिर , ब्रह्मगुप्त , धनवन्तरी तथा सुश्रुत जैसे महान चिकित्सक इसी काल में हुए थे ।
- दशमलव तथा शून्य का आविष्कार , पुराण , रामायण तथा महाभारत की रचना गुप्तकाल में ही की गई थी ।
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HISTORY OF INDIA IN HINDI
3.गुप्तोत्तर काल (हर्षवर्द्धन काल)
- गुप्त साम्राज्य के पतन के पश्चात् उत्तर भारत में पुष्यभूति वंश की स्थापना हुई ।
- पुष्यभूति वंश का प्रमुख शासक हर्षवर्द्धन था । इसने अपनी राजधानी थानेश्वर बनाई थी ।
- हर्षवर्द्धन ने शासक बनने के बाद परम माहेश्वर की उपाधि धारण की थी । इसने प्रियदर्शिका नाटक की रचना भी की थी । इनके प्रचलित सिक्के पर शिव पार्वती का चित्र अंकित था ।
- इसने नालन्दा विश्वविद्यालय को विशेष संरक्षण प्रदान किया था ।
- ताम्रलिप्ति , हर्षवर्द्धन के समय एक प्रमुख बन्दरगाह था ।
- हर्षवर्द्धन के काल में चीनी यात्री ह्वेनसांग भारत आया था ।
- बाणभट्ट हर्षवर्द्धन का दरबारी कवि था जिसने हर्षचरित की रचना की थी
- हर्षवर्द्धन और पुलकेशिन द्वितीय के बीच हुए युद्ध के बारे में एहोल अभिलेख से जानकारी प्राप्त होती है । यह युद्ध नर्मदा नदी के तट पर हुआ था।
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