HISTORY OF INDIA IN HINDI BY EDUCATIONAL POINTS
भारत का इतिहास हिंदी में
PART-3
यह पोस्ट हर स्टूडेंट के लिए बहुत ही उपयोगी तथा महत्वपूर्ण है। इस प्रकार के प्रश्न अधिकांश परीक्षा में पूछा जाता है, यह पोस्ट खास करके उन विद्यार्थियों के लिए महत्वपूर्ण है जो
- यूपीएससी (UPSC)
- इंडियन एयर फोर्स (IAF)
- इंडियन नेवी (INDIAN NAVY/ MR,SSR AND AA)
- राष्ट्रीय रक्षा अकादमी ( NDA)
- भारतीय रेल (INDIAN RAILWAY)
- एसएससी सीजीएल ( SSC CGL)
- एसएससी जीडी ( SSC GD)
- कोस्ट गार्ड। तटरक्षक ( COAST GUARD)
- बीपीएससी (BPSC)
- बिहार पुलिस
- दिल्ली पुलिस
इन सभी परीक्षाओं की की तैयारी कर रहे हैं।
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NOTE:-This is Part 2 Don’t forget to read Part 3 and part1
HISTORY OF INDIA IN HINDI
इस पोस्ट में निम्न बिंदुओं पर विचार किया गया है।
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दिल्ली सल्तनत
- गुलाम वंश
- खिलजी वंश
- तुगलक वंश
- सैयद वंश
- लोदी वंश
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1.भारत पर मुस्लिम आक्रमण
- अरबों ने भारत पर 712 ई . में विजय प्राप्त की थी । मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में अरबों ने भारत पर पहला आक्रमण किया था ।
- प्रथम तुर्क आक्रमण के समय पंजाब में शाही वंश के शासक जयपाल का शासन था ।
- महमूद गजनवी ने भारत पर 17 बार आक्रमण किया जिसमें 1025 ई . में सोमनाथ मन्दिर का प्रसिद्ध आक्रमण शामिल है ।
- महमूद गजनवी के दरबार में अलबरूनी , फिरदौसी , उत्बी फारूखी रहते थे ।
- महमूद गजनवी के पश्चात् भारत पर मोहम्मद गोरी का आक्रमण ( प्रथम आक्रमण 1175 ई . में मुल्तान पर ) हुआ । भारत में तुर्क साम्राज्य का संस्थापक मोहम्मद गोरी था ।
- मोहम्मद गोरी और पृथ्वीराज चौहान के बीच 1191 ई . एवं 1192 ई . में तराइन का युद्ध हुआ ।
- 1191 ई . के तराइन के प्रथम युद्ध में गोरी पराजित हुआ तथा 1192 ई . में द्वितीय तराइन के युद्ध में गोरी विजयी हुआ ।
- मोहम्मद गोरी के सेनापति बख्तियार खिलजी ने पूर्वी भारत का अभियान किया तथा उसने नालन्दा तथा विक्रमशिला को नष्ट कर दिया ।
2.दिल्ली सल्तनत
गुलाम वंश
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खिलजी वंश
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तुगलक वंश
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सैयद वंश
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लोदी वंश
गुलाम वंश
खिलजी वंश
तुगलक वंश
सैयद वंश
लोदी वंश
- 1206 से 1526 ई . तक उत्तर भारत पर दिल्ली सल्तनत के शासकों ने शासन किया ।
- दिल्ली सल्तनत में तुर्की तथा अफगानी वंशों ने शासन किया , जो निम्नलिखित थे ।
HISTORY OF INDIA IN HINDI
गुलाम वंश ( 1206-1290 ई . )
- गुलाम वंश को इल्बरी , मामलूक तथा दासवंश के नाम से भी जाना जाता है । मामलूक नाम इतिहासकार हबीबुल्लाह द्वारा दिया गया है । गुलाम वंश के दौरान कुतुबुद्दीन ऐबक ने कुत्बी , इल्तुतमिश ने शम्सी तथा बलबन ने बलबनी शासन की स्थापना की थी ।
- दिल्ली का पहला तुर्क शासक कुतुबुद्दीन ऐबक था । कुतुबुद्दीन ऐबक को लाखबख्श कहा जाता था ।
- इन्होंने दिल्ली में कुतुबमीनार ( बख्तियार काकी की स्मृति में बनवाया ) तथा कुव्वत – उल – इस्लाम मस्जिद का निर्माण करवाया । अजमेर में उसने अढ़ाई दिन का झोंपड़ा निर्मित करवाया ।
- कुतुबुद्दीन ऐबक की मृत्यु 1210 में चौगान खेलते समय हो गई ।
- कुतुबुद्दीन ऐबक के पश्चात् दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर इल्तुतमिश बैठा ।
- इल्तुतमिश ने चालीस तुर्क सरदारों का एक दल तुर्कान – ए – चहलगानी या चालीसा बनाया ।
- इल्तुतमिश ने कुतुबमीनार का निर्माण कार्य पूरा करवाया । उसने दिल्ली में एक मदरसे का निर्माण भी करवाया ।
- इल्तुतमिश ने इक्ता व्यवस्था लागू की तथा जीतल तथा टंका नामक सिक्के चलाए । जीतल ताँबे का सिक्का था , जबकि टंका चाँदी का था ।
- इल्तुतमिश ने अपनी पुत्री रजिया को उत्तराधिकारी नियुक्त किया था । रजिया , दिल्ली सल्तनत की पहली तथा अन्तिम महिला शासिका थी । 1236 ई . में वह दिल्ली की शासिका बनी ।
- भटिण्डा के सूबेदार अल्तूनिया से रजिया ने विवाह किया ।
- वर्ष 1940 में रजिया की मृत्यु के बाद बहराम शाह , मसूदशाह तथा नासिरुद्दीन महमूदं ने क्रमश : शासन किया ।
- 1266 ई . में नासिरुद्दीन महमूद की मृत्यु के बाद बलबन दिल्ली सल्तनत में नए राजवंश बलबनी वंश की स्थापना में सफल हुआ ।
- अपने विरोधियों के प्रति बलबन ने कठोर लौह एवं रक्त की नीति का पालन किया । बलबन ने स्वयं को जिल्ले इलाही बताया ।
- बलबन की मृत्यु के बाद खिलजी वंश का उदय हुआ ।
HISTORY OF INDIA IN HINDI
खिलजी वंश ( 1290-1320 ई . )
- जलालुद्दीन फिरोज खिलजी , 1290 ई . में दिल्ली का सुल्तान बना । सुल्तान बनने से पहले वह बुलन्दशहर का इक्तादार था ।
- 1296 ई . में जलालुद्दीन फिरोज खिलजी की हत्या कर अलाउद्दीन खिलजी दिल्ली का शासक बना ।
- • अपनी विजयों से उत्साहित अलाउद्दीन खिलजी ने सिकन्दर – ए – सानी की उपाधि ग्रहण की । भू – राजस्व व्यवस्था को अधिक प्रभावी बनाने के लिए अलाउद्दीन खिलजी ने दीवान – ए – मुस्तखराज की स्थापना की । घोड़ों को दागने की पद्धति भी अलाउद्दीन खिलजी ने आरम्भ की थी ।
- अलाउद्दीन ने खम्स ( लूट का धन ) में सुल्तान का हिस्सा 1/4 भाग के स्थान पर 3/4 भाग कर दिया ।
- अलाउद्दीन खिलजी अपनी बाजार नियन्त्रण प्रणाली के कारण जाना जाता है । उसने मूल्य नियन्त्रण के लिए दीवान – ए – रियासत , शहना – ए – मण्डी की नियुक्ति की ।
- अलाउद्दीन खिलजी का प्रसिद्ध सेनापति मलिक काफूर था , जिसने उसके दक्षिण भारतीय अभियान का नेतृत्व किया ।
- अलाउद्दीन खिलजी ने दिल्ली में अलाई दरवाजा , हौजखास , सीरी का किला , जमातखाना मस्जिद इत्यादि का निर्माण करवाया ।
- अमीर खुसरो , अलाउद्दीन के दरबारी कवि थे । इन्हें सितार एवं तबले के आविष्कार का श्रेय दिया जाता है ।
- अलाउद्दीन के पश्चात् मुबारक शाह तथा खुसरोशाह शासक बने , जोकि शासन चलाने में अकुशल थे , परिणामस्वरूप तुगलक वंश का उदय हुआ।
EDUCATIONAL POINTS
तुगलक वंश ( 1320-1414 ई . )
- तुगलक वंश की स्थापना ग्यासुद्दीन तुगलक ने 1320 में की थी । गयासुद्दीन तुगलक का नाम गाजी तुगलक या गाजी बेग तुगलक था ।
- उसने दिल्ली के निकट तुगलकाबाद नामक नगर की स्थापना की ।
- गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु के बाद 1325 ई . में मोहम्मद – बिन – तुगलक ( जौना खाँ ) दिल्ली का सुल्तान बना ।
- मोहम्मद बिन तुगलक ने दोआब में कर वृद्धि , राजधानी परिवर्तन , सांकेतिक मुद्रा , खुरासान अभियान तथा कराचिल अभियान जैसे निर्णय लिए , जिनमें वह असफल रहा ।
- मोहम्मद तुगलक ने राजधानी दिल्ली से दौलताबाद स्थानान्तरित की ।
- मोहम्मद – बिन – तुगलक ने कृषि के विकास के लिए दीवान – ए – कोही नामक विभाग की स्थापना की ।
- मोहम्मद बिन तुगलक ने 1342 ई . में इब्नबतूता को चीन के दरबार में अपना राजदूत बनाकर भेजा । इससे पहले 1341 ई . में चीन के शासक तोगन तिमूर ने अपना एक राजदूत दिल्ली भेजा था ।
- मोहम्मद बिन तुगलक ने चाँदी की जगह ताँबे के सिक्के चलाए जिसका मूल्य चाँदी के टंका के बराबर होता था ।
- इब्नबतूता की पुस्तक रेहला में मोहम्मद तुगलक के समय की घटनाओं का वर्णन है ।
- मोहम्मद बिन तुगलक के पश्चात् फिरोजशाह तुगलक दिल्ली का सुल्तान बना ।
- फिरोजशाह तुगलक ने इस्लामी कानूनों द्वारा स्वीकृत चार कर लगाए । ये हैं – खराज , खम्स , जजिया तथा जकात । जजिया पहले ब्राह्मणों को छोड़कर सभी हिन्दुओं पर लगाया जाता था । उसने ब्राह्मणों पर भी जजिया कर लगाया ।
- उसने गरीबों की सहायता के लिए दीवान – ए – खैरात नामक दान विभाग स्थापित किया ।
- फिरोजशाह ने कई प्रसिद्ध नगर बसाए । दिल्ली में फिरोजाबाद के अतिरिक्त उसने फतेहाबाद , हिसार- फिरोजा , फिरोजपुर , जौनपुर जैसे नगरों की स्थापना की ।
- फिरोजशाह तुगलक ने ऐतिहासिक इमारतों के संरक्षण के लिए महत्त्वपूर्ण कार्य किया । उसने दिल्ली में जामा मस्जिद , कुतुबमीनार , शम्सी तालाब , जहाँपनाह तथा निजामुद्दीन औलिया की समाधि का पुनरुद्धार करवाया ।
- फिरोजशाह तुगलक ने मेरठ तथा टोपरा से अशोक स्तम्भ मँगवाकर दिल्ली में फिरोजशाह कोटला में स्थापित करवाया ।
HISTORY OF INDIA IN HINDI
सैयद वंश ( 1414-1451 ई . )
- तुगलक वंश के पश्चात् खिज्र खाँ ने वर्ष 1414 में सैयद वंश की स्थापना की ।
- इसने अपनी सत्ता तैमूर के सहयोग से प्राप्त की थी । इसने रैयत ए – आला की उपाधि की थी ।
- खिज्र खाँ के बाद मुबारक शाह शासक बना । इसने यमुना नदी के किनारे मुबारक बाद नामक नगर बसाया था ।
- मुबारक शाह के बाद मोहम्मद शाह शासक बना , जो अयोग्य था ।
- इसके बाद अलाउद्दीन आलमशाह शासक बना , जो विलासी प्रवृत्ति का था । यह सैयद वंश का अन्तिम शासक था ।
- इसके पश्चात् बहलोल लोदी ने लोदी वंश के नाम से एक नए वंश की स्थापना की ।
EDUCATIONAL POINTS
लोदी वंश ( 1451-1526 ई . )
- बहलोल लोदी , लोदी राजवंश का संस्थापक था तथा उसने बहलोली नामक एक सिक्का जारी किया ।
- बहलोल लोदी के पश्चात् सिकन्दर लोदी गद्दी पर बैठा जिसने 1504 ई . में आगरा शहर की स्थापना की ।
- सिकन्दर लोदी की मृत्यु के बाद इब्राहिम लोदी शासक बना । यह लोदी वंश का अन्तिम शासक था ।
- इब्राहिम लोदी और बाबर के बीच 21 अप्रैल 1526 में पानीपत की प्रथम लड़ाई हुई जिसमें बाबर ने इब्राहिम लोदी को पराजित किया ।
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Conclusion
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