इस पोस्ट में आप लोगों को कक्षा दसवीं की हिंदी कहानी हिरोशिमा तथा एक वृक्ष की हत्या कहानी के प्रश्नों का उत्तर दिया जाएगा।
हिरोशिमा
प्रश्न 1. हिरोशिमा में मनुष्य की साखी के रूप में क्या है ?
उत्तर – आज भी हिरोशिमा में सारथी के रूप में अर्थात् प्रमाण के रूप में जहाँ – तहाँ जले हुए पत्थर , दीवारें पड़ी हुई हैं । यहाँ तक कि पत्थरों पर , टूटी – फूटी सड़कों पर , घर की दीवारों पर लाश के निशान छाया के रूप में साक्षी हैं । इसी साक्षी से पता चलता है कि अतीत में यहाँ अमानवीय दुर्दान्तता का नंगा नाच हुआ था ।
प्रश्न 2. कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज क्या है ? वह कैसे निकलता है?
उत्तर- कविता के प्रथम अनुच्छेद में निकलने वाला सूरज आण्विक बम का प्रचण्ड गोला है । ऐसा प्रतीत होता है कि वह क्षितिज से न निकलकर धरती फाड़कर निकलता है , अर्थात् हिरोशिमा की धरती पर बम गिरने से आग का गोला चारों ओर फैल जाता है , चारों ओर आग की लपटें फैल जाती हैं । धरती पर भयावह दृश्य उपस्थित हो जाता है । आण्विक बम नरसंहार करते हुए उपस्थित होता है
प्रश्न 3. मनुष्य की छायाएँ कहाँ और क्यों पड़ी हुई हैं ?
उत्तर – मनुष्य की छायाएँ हिरोशिमा की धरती पर सब ओर दिशाहीन होकर पड़ी हुई हैं । जहाँ – तहाँ घर की दीवारों पर मनुष्य छायाएँ मिलती हैं । टूटी – फूटी सड़कों से लेकर पत्थरों पर छायाएँ प्राप्त होती हैं । आण्विक आयुध का विस्फोट इतनी तीव्र गति में हुई कि कुछ देर के लिए समय का चक्र भी ठहर गया और उन विस्फोट में जो जहाँ थे वहीं उनकी लाश गिरकर सट गयी । वही सटी हुई लाशें अमिट छाया के रूप में प्रदर्शित हुईं ।
प्रश्न 4. छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती हैं ? स्पष्ट करें/
अथवा , छायाएँ दिशाहीन सब ओर क्यों पड़ती है ? ‘ हिरोशिमा ‘ शीर्षक कविता के आधार पर स्पष्ठ करें ।
उत्तर – सूर्य के उगने से जो भी बिम्ब – प्रतिबिम्ब या छाया का निर्माण होता है वे सभी निश्चित दिशा में लेकिन बम विस्फोट से निकले हुए प्रकाश से जो छायाएँ बनती हैं वे दिशाहीन होती हैं । क्योंकि , आण्विक शक्ति से निकले हुए प्रकाश सम्पूर्ण दिशाओं में पड़ता है । उसका कोई निश्चित दिशा नहीं है । बम के प्रहार से मरने वालों की क्षत – विक्षत लाशें विभिन्न दिशाओं में जहाँ – तहाँ पड़ी हुई हैं । ये लाशें छाया – स्वरूप हैं , परन्तु चतुर्दिक फैली होने के कारण दिशाहीन छाया कही गयी है
प्रश्न 5. प्रज्वलित क्षण की दोपहरी से कवि का आशय क्या है ?
उत्तर – हिरोशिमा में जब बम का प्रहार हुआ तो प्रचण्ड गोलों से तेज प्रकाश निकला और वह चतुर्दिक फैल गया । इस अप्रत्याशित प्रहार हिरोशिमा के लोग हतप्रभ रह गये । उन्हें सोचने का अवसर नहीं मिला । उन्हें ऐसा लगा कि धीरे – धीरे आनेवाला दोपहर आज एक क्षण में ही उपस्थित हो गया । बम से प्रज्वलित अग्नि एक क्षण के लिए दोपहर का दृश्य प्रस्तुत कर दिया । कवि उस क्षण में उपस्थित भयावह दृश्य का आभास करते हैं जो तात्कालिक था । वह दोपहर उसी क्षण वातावरण से गायब भी हो गया ।
प्रश्न 6. आज के युग में इस कविता की प्रासंगिकता स्पष्ट कीजिए ।
उत्तर– यह स्पष्ट है कि ‘ अज्ञेय ‘ प्रयोगवादी कविता का महान प्रवर्तक हैं । इनकी कविता यथार्थ की धरातल पर एक ऐसा अमिट चित्र छोड़ता है जो मानवीय संवेदनाओं को झकझोर देता है । ‘ हिरोशिमा ‘ नामक कविता वर्तमान की प्रासंगिकता पर पूर्ण रूप से आधारित है । यह कविता आधुनिक सभ्यता की दुर्दान्त मानवीय विभीषिका का चित्रण करने वाली एक अनिवार्य प्रासंगिक चेतावनी भी है । यदि मानव प्रकृति से खिलवाड़ करना बाज नहीं आया तो प्रकृति ऐसी विनाशलीला खड़ा करेगा , जहाँ मानवीय बुद्धि की परिपक्वता छिन्न – भिन्न होकर बिखर जायेगी । हिरोशिमा में बम – विस्फोट का परिणाम इतना भयावह होगा इसकी कल्पना शायद उस दुर्दान्त मानव को भी नहीं होगा जिसने इसका प्रयोग किया । अत : यह कविता केवल अतीत की भीषणतम मानवीय दुर्घटना का ही साक्ष्य नहीं है बल्कि आण्विक आयुधों की होड़ में फंसी आज की वैश्विक राजनीति से उपजते संकट की आशंकाओं से भी जुड़ी हुई है ।
एक वृक्ष की हत्या
प्रश्न 1. कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार क्यों लगता था ?
उत्तर- कवि एक वृक्ष के बहाने प्राचीन सभ्यता , संस्कृति एवं पर्यावरण की रक्षा की चर्चा की है । वृक्ष मनुष्यता , पर्यावरण एवं सभ्यता की प्रहरी है । यह प्राचीनकाल से मानव के लिए वरदानस्वरूप है , इसका पोषक है , रक्षक है । इन्हीं बातों का चिंतन करते हुए कवि को वृक्ष बूढ़ा चौकीदार लगता था ।
प्रश्न 2. वृक्ष और कवि में क्या संवाद होता था ?
उत्तर – कवि जब अपने घर कहीं बाहर से लौटता था तो सबसे पहले उसकी नजर घर के आगे स्थिर खड़ा एक पुराना वृक्ष पर पड़ती । उसे लगता मानो घर के आगे सुरक्षा – प्रहरी खड़ा है । उसके निकट आने पर कवि को आभास होता मानों वृक्ष उससे पूछ रहा है कि तुम कौन हो ? कवि इसका उत्तर देता – मैं तुम्हारा दोस्त हूँ । इसी संवाद के साथ वह उसके निकट बैठकर भविष्य में आने वाले पर्यावरण संबंधी खतरों का अंदेशा करता है ।
प्रश्न 3. कविता के शीर्षक की सार्थकता स्पष्ट कीजिए । अथवा , ‘ एक वृक्ष की हत्या ‘ शीर्षक कविता का भावार्थ लिखें ।
उत्तर- प्रस्तुत कविता में कवि एक पुराने वृक्ष की चर्चा करते हैं । वृक्ष प्रहरी के रूप में कवि के घर के निकट था और वह एक दिन काट दिया जाता है । उस कटे हुए वृक्ष के लिए कवि चिंतित होते हैं और इसी वृक्ष के बहाने पर्यावरण की सुरक्षा हेतु आशंकित होते हैं । कवि के चिंतन का मुख्य केन्द्र – बिन्दु कटा हुआ वृक्ष ही है । उसी को आधार मानकर सभ्यता , मनुष्यता एवं पर्यावरण को क्षय होते हुए । देखकर आहत होते हैं एक वृक्ष की हत्या के बहाने पूरे पर्यावरण की हत्या की आशंका है । कविता के केन्द्र में वृक्ष ही है । कविता इसी के इर्द – गिर्द घूमता है । अतः शीर्षक सार्थक है ।
प्रश्न 4. घर , शहर और देश के बाद कवि किन चीजों को बचाने की बात ( TBQ ) करता है और क्यों ?
उत्तर – घर , शहर और देश के बाद कवि नदियों , हवा , भोजन , जंगल एवं मनुष्य को बचाने की बात करता है क्योंकि नदियाँ , हवा , अन्न , फल , फूल जीवनदायक हैं । इनकी रक्षा नहीं होगी तो मनुष्य के स्वास्थ्य की रक्षा नहीं हो सकती है । जंगल पर्यावरण का सुरक्षा कवच है । जंगल की रक्षा नहीं होने से प्राकृतिक असंतुलन की स्थिति उत्पन्न होगी । इन सबसे बढ़कर मनुष्य की रक्षा करनी होगी । मनुष्य में मनुष्यता कायम रहे , मानवता का गुण निहित हो , इसकी सभ्यता बनी रहे । इसे असभ्य होने से बचाने की महती आवश्यकता है । साथ ही , जंगल की तरह मानवीयता का कत्ल नहीं हो , इसके रक्षार्थ आगे आने की महती आवश्यकता है
प्रश्न 5. कविता का समापन करते हुए कवि अपने किन अंदेशों का जिक्र करता है और क्यों ?
उत्तर- कविता का समापन करते हुए कवि पर्यावरण एवं सभ्यता के प्रति संवेदनशील होकर चिंतन करता है । चिंतन करने में उसे मानवता , पर्यावरण एवं सभ्यता , राष्ट्रीयता के दुश्मन की झलक मिलती है । इसी का जिक्र करते हुए कवि कहते हैं कि हमें घर को विनाश करने वालों से सावधान रहना होगा , शहर में विनाश से रक्षा के लिए आगे आना होगा । अर्थात् कवि को अंदेशा है कि आज पर्यावरण , हमारी प्राचीन सभ्यता , मानवता तक के जानी दुश्मन समाज में तैयार हैं । अंदेशा इसलिए करता है क्योंकि आज लोगों की प्रवृत्ति वृक्षों की काटने की हो गई । सभ्यता के विपरीत कार्य करने की प्रवृत्ति बढ़ रही है , मानवता का ह्रास हो रहा है । ऐसी स्थिति में वृक्षों के प्रति मानवता के प्रति संवेदनशील लोग कम दिखाई पड़ रहे हैं । यह चिंता का विषय है । यही कवि की आशंका का विषय है ।
प्रश्न 6. कविता की प्रासंगिकता पर विचार करते हुए एक टिप्पणी लिखें ।
उत्तर – आज प्राचीन सभ्यता का ह्रास हो रहा है । पर्यावरण का ख्याल नहीं रखा जा रहा है । वृक्ष एवं जंगल काटे जा रहे हैं । मानवता का गुण नष्ट हो रहा । पशुता एवं राक्षसत्व का गुण बढ़ रहा है । नदियों का स्वच्छ जल प्रदूषित हो रहा है । ऐसी विषम परिस्थितियों में कवि का इस ओर ध्यान दिलाना प्रासंगिक है । आज के प्रसंग में कवि की कल्पना चरितार्थ हो रही है । कवि का अंदेशा सत्य हो रहा है । हमें वृक्ष , पर्यावरण , मनुष्यता , सभ्यता एवं राष्ट्रीयता के प्रति संवेदनशील होना होगा । इन सबकी रक्षा के लिए गंभीरता से विचार करना होगा ताकि आने वाला समय सुखद हो , धरती पर मानवता स्थापित हो सके , संस्कारक्षम वातावरण का निर्माण किया जा सके ।