Important question for class 10th history Educational points

Important question for class 10th history By Educational Points

इस पोस्ट में आप लोगों को क्लास 10th के हिस्ट्री के चैप्टर निर्माण तथा उद्योग के कुछ महत्वपूर्ण प्रश्न तथा उनके उत्तर दिए गए हैं।
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निर्माण उद्योग

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प्रश्न 1. राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों का क्या योगदान रहा है ? अथवा , भारतीय अर्थव्यवस्था में उद्योगों के योगदान का विस्तारपूर्वक वर्णन करें । 

 उत्तर – किसी भी देश की आर्थिक सम्पन्नता उसके निर्माण उद्योगों के विकास से मापी जाती है । इन उद्योगों ने लोगों को रोजगार प्रदान कर उनकी कृषि पर निर्भरता को कम किया है । निर्मित वस्तुओं के निर्यात से विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है जिससे गरीबी की समस्या पर बहुत अधिक काबू पा लिया गया है । जनजातीय क्षेत्रों में औद्योगिक विकास के कारण क्षेत्रीय असमानताएँ कम हुई है । पिछले दो दशकों से सकल घरेलू उत्पाद में विनिर्माण उद्योग का योगदान 17 % है । पिछले एक दशक से भारतीय विनिर्माण क्षेत्र में 7 प्रतिशत की दर से बढ़ोतरी की यह दर अगले दशक में 12 प्रतिशत अपेक्षित है । वर्ष 2007-08 से विनिर्माण क्षेत्र का विकास 9 से 10 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से हुआ है । सरकारी नीतियों तथा औद्योगिक उत्पादन में बढ़ोतरी के नए प्रयासों से अर्थशास्त्रियों का अनुमान है कि विनिर्माण उद्योग अगले एक दशक में अपना लक्ष्य पूरा कर सकता है । इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए राष्ट्रीय विनिर्माण प्रतिस्पर्धा परिषद की स्थापना की गई है ।

प्रश्न 2. भारत में सूचना एवं प्रौद्योगिकी उद्योग का विवरण दीजिए ।

उत्तर- इस उद्योग को ज्ञान आधारित उद्योग भी कहते हैं । क्योंकि इसमें उत्पादन के लिए विशिष्ट ज्ञान , उच्च प्रौद्योगिकी और निरंतर शोध और अनुसंधान की आवश्यकता रहती है । अत : यह वह उद्योग है जो मुख्यत : सूचना प्रौद्योगिकी से संबंधित है । इसने देश के आर्थिक ढाँचे तथा लोगों की जीवनशैली में बहुत क्रांति ला दिया है । इस उद्योग के अंतर्गत आने वाले उत्पादों में ट्रांजिस्टर से लेकर टेलीविजन , टेलीफोन , पेजर , रडार , सेल्यूवर टेलीकाम , लेजर , जैव – प्रौद्योगिकी , अंतरिक्ष उपकरण , कम्प्यूटर की यंत्र सामग्री ( हार्डवेयर ) तथा प्रक्रिया सामग्री ( साफ्टवेयर ) इत्यादि है । इनके प्रमुख उत्पादक केन्द्र बंगलूर , मुंबई , दिल्ली , हैदराबाद , पूणे , चेन्नई , कोलकाता , कानपुर तथा लखनऊ है । इसके अतिरिक्त 20 सॉफ्टवेयर प्रौद्योगिकी पार्क है जो सॉफ्टवेयर विशेषज्ञों की एकल विंडों सेवा तथा उच्च आँकड़ें संचार सुविधा प्रदान करते हैं । इस उद्योग का प्रमुख महत्व रोजगार उपलब्ध कराना है । इसमें रोजगार पास व्यक्तियों में लगभग 30 % महिलाएँ हैं । पिछले दो या तीन वर्षों से यह उद्योग विदेशी मुद्रा प्राप्ति करने को एक महत्वपूर्ण स्रोत बन गया है । जिसका कारण तेजी से बढ़ता व्यवसाय प्रक्रिया ब्राह्य – स्रोत करण ( Business Process out Sourcing D.P.O. ) है । इससे जुड़ी अर्थव्यवस्था को ज्ञान अर्थव्यवस्था भी कहते हैं ।

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प्रश्न 3. भारत के सीमेंट उद्योग का वर्णन करें ।

उत्तर- भारत विश्व का दूसरा सबसे बड़ा सीमेंट उत्पादक देश है । यहाँ पर अनेक प्रकार के सीमेंट का उत्पादन होता है जैसे पोर्टलैंड , सफेद सीमेंट इत्यादि । यह उद्योग कच्चे माल के निकट स्थापित किया जाता है । सबसे पहला सीमेंट संयंत्र 1904 ई ० में चेन्नई में स्थापित किया गया । आज भारत में 159 बड़े तथा 332 से अधिक छोटे सिमेंट संयंत्र है । भारतीय सीमेंट की माँग विदेशों में काफी है क्योंकि यह उच्च गुणवत्ता वाला होता है । इसकी माँग दक्षिण एवं पूर्वी एशिया में काफी है । इस समय भारत में 20 करोड़ टन सीमेंट प्रतिवर्ष उत्पादन हो रहा है ।

प्रश्न 4. भारत के चीनी उद्योग का विसतारपूर्वक वर्णन कीजिए ।

उत्तर — भारत चीनी के उत्पादन में विश्व में प्रथम है । यहाँ सबसे अधिक गने की ती की जाती है और उत्पादन क्षमता में भी विश्व में अपना महत्वपूर्ण स्थन रखता है । 1950-51 में भारत में केवल 38 चीनी मिलें थीं । लेकिन अब इसकी संख्या बढ़कर 506 हो गई है । भारत में चीनी का उत्पादन लगातार बढ़ता जा रहा है । इसके उत्पादन में काफी उतार – चढ़ाव आते हैं । एक समय था जब देश में चीनी का उत्पादन केवल 11.3 लाख टनथा । 2002 में यह उत्पादन बढ़कर 180 लाख टन हो गया । उत्पादन बढ़ने साथ – साथ चीनी का घरेलू उपभोग भी काफी बढ़ गया ह । चीनी की माँग चीनी उत्पादन से अधिक है । देश में चीनी के कम उत्पादन का एक बड़ा कारण गुड़ निर्माण है । गाँव में आज भी गुड़ की माँग अधिक है । चीनी उद्योग का प्रारंभ निजी क्षेत्र से आरंभ हुआ था । यही कारण है कि सबसे अधिक चीनी मिलें उत्तर प्रदेश तथा बिहारमें थी । आज चीनी की आधी मिलें उत्तर प्रदेश तथा महाराष्ट्र मं स्थित है । महाराष्ट्र तथा दक्षिण राज्यों के गन्ने में चीनी का अंश अधिक होता है । इसके कारण इन राज्यों में चीनी उद्योग का विस्तार तेजी से किया जा रहा है ।

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प्रश्न 5. उद्योगों द्वारा प्रदूषण नियंत्रण के उपायों का वर्णन करें ।

 उत्तर – प्रदूषण को उचित योजनाओं द्वारा रोका जा सकता है । उद्योगों को निध ििरत क्षेत्रों में स्थापित करके , उपकरणों की गुणवत्ता को बनाए रखकर तथा उनके सही परिसंचालन द्वारा प्रदूषण को कम किया जा सकता है । वैकल्पिक ईंधन का चयन तथा उसके सही उपयोग वायु प्रदूषण को रोकने का प्रमुख साधन है । उद्योगों में कोयले के स्थान पर तेल के उपयोग से धुआँ रोका जा सकता है । वर्तमान में कई ऐसे उपकरण हैं जिनके माध्यम से वायु में उत्सर्जित प्रदूषकों को रोका जा सकता है । इनमें पृथककारी छनना बैगफिल्टर तथा स्क्रबर यंत्र उल्लेखनीय हैं । उद्योगों के प्रदूषित जल को नदियों में छोड़ने से पहले उपचारित करके जल प्रदूषण को नियंत्रित किया जा सकता है । उद्योगों से निकलने वाली द्रवों की तीन स्तरों पर उपचारित किया जाता है । यांत्रिक प्रक्रिया द्वारा प्राथमिक उपचार , जैविक प्रक्रिया द्वारा द्वितीयक उपचार तथा जैविक रासायनिक और भौतिक प्रक्रियाओं द्वारा तृतीयक उपचार । प्राथमिक उपचार में छंटाई , पिसाई , निथारना तथा गंदगी को तली में बैठाने की क्रिया शामिल है । द्वितीयक प्रक्रिया में जैविक विधियाँ शामिल हैं । तृतीयकं उपचार में प्रदूषित जल को पुनः चक्रीय क्रिया शामिल है । 

प्रश्न 6. वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है ?

 उत्तर भारत सरकार की नवीन आर्थिक नीतियाँ वैश्वीकरण को परिभाषित करने में लगी हुई है । इसके अन्तर्गत भारतीय अर्थव्यवस्था का विश्व की अन्य अर्थव्यवस्थाओं के साथ तारतम्य बनाना है । इसके अन्तर्गत सभी वस्तुओं के आयात में खुली छूट , सीमा शुल्क में कमी , विदेशी पूंजी की मुक्त प्रवाह की अनुमति सेवा क्षेत्र विशेषकर बैकिंग , बीमा और जहाजरानी क्षेत्रों में विदेशी पूँजी निवेश की छूट और रुपयों को पूर्ण परिवर्तनशील करना है । इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से वैश्वीकरण हो रहा है । उदारीकरण और निजीकरण आर्थिक सुधारों के कई कार्यक्रम चलाये जा रहे हैं । परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में उपलब्धियाँ उत्साहवर्द्धक है । विदेशी मुद्रा का भण्डार काफी बढ़ गया है । किंतु सामाजिक क्षेत्रों की प्रगति संतोषजनक नहीं है । रोजगार सृजन के अवसर कम हुए हैं । गरीबी उन्मुलन का कार्यक्रम प्रभावित हुआ है । अनाज का विपुल भंडार रहते हुए भी भारी संख्या में भारतवासी कुपोषण के शिकार हैं । इसका मुख्य कारण उनमें क्रयशक्ति की कमी है । वैश्वीकरण से स्वदेशी उद्योगों और विशेषकर लघु एवं कुटीर उद्योगों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है । यह बात स्पष्ट रूप से कही जा सकती है कि वैश्वीकरण से हमारी अर्थव्यवस्था पर और औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

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प्रश्न 7. उदारीकरण , निजीकरण और वैश्वीकरण से आप क्या समझते हैं ? वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर क्या प्रभाव पड़ा है ? इसकी व्याख्या करें । 

 उत्तर — उदारीकरण का तात्पर्य किसी भी क्षेत्र में नियंत्रण एवं प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए उदारता बरतने से है । सरकार के द्वारा लगाए गए प्रत्यक्ष तथा भौतिक नियंत्रण से अर्थव्यवस्था को मुक्त करना ताकि सभी क्षेत्रों का समान विकास संभव हो । निजीकरण का तात्पर्य सार्वजनिक क्षेत्र के महत्व को कम करते हुए उत्पादन का स्वामित्व निजी क्षेत्र के अधीन सौंपना क्योंकि सार्वजनिक क्षेत्र में उद्योगों का विकास सही ढंग से नहीं हो पा रहा है या चल रहा था । अत : स्वामित्व का अधिकार किसी निजी क्षेत्र के अधीन सौंपा गया ताकि तीव्र औद्योगिक उत्पादन हो वैश्वीकरण का अर्थ है देश की अर्थव्यवस्था को विश्व की अर्थव्यवस्था के साथ जोड़ना अर्थात् प्रत्येक देश का अन्य देशों के साथ बिना किसी प्रतिबंध के पूँजी तकनीकी एवं व्यापारिक आदान – प्रदान ही वैश्वीकरण है । वैश्वीकरण से सभी वस्तुओं के आयात में छुट , सीमा शुल्क में कमी , विदेशी पूँजी की मुक्त प्रवाह की अनुमति , सेवा क्षेत्र विशेषकर बैकिंग , बीमा और जहाजरानी क्षेत्रों में विदेशी पूंजी निवेश की छूट और रुपयों की पूर्ण परिवर्तनशील करना है । इन उद्देश्यों की पूर्ति के लिए भारतीय अर्थव्यवस्था का तेजी से वैश्वीकरण हो रहा है । परिणामस्वरूप कई क्षेत्रों में उपलब्धियाँ उत्साहपूर्वक है । विदेशी मुद्रा का भंडार काफी बढ़ गया है । 2007-08 में 200 अरब डॉलर हो गया है । वैश्वीकरण से स्वदेशी उद्योगों और विशेषकर लघु एवं कुटीर उद्योग पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा । कुल मिलाकर वैश्वीकरण से हमारी अर्थव्यवस्था पर और औद्योगिक विकास पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा ।

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conclusion:-

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