Personal Finance Manegment in Hindi। And banking System (हिंदी में)

 Personal Finance Manegment in Hindi And banking System ( हिंदी में )

In this post of personal finance management, today you will get the answer to every little big question related to finance management and in this post you will also be informed about banking system in Hindi, then I request you guys You guys should read this post completely and share it with your friends as well so that they can also be helped.

व्यक्तिगत वित्त प्रबंधन से आशय है कि एक व्यक्ति अपने व्यय का नियोजन सके तथा आकस्मिक घटनाओं का सामना कर सकें । व्यक्तिगत वित्त प्रबन्धन करे कि वह अपनी सीमित आय का कुछ भाग बचा कर निवेश कर घटक बैंकिंग एवं बीमा हैं इस प्रकार के दो महत्त्वपूर्ण

Personal Finance Manegment in Hindi
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 बैंकिंग Banking

 बैंक एक ऐसी वित्तीय संस्था है , जो अपने ग्राहकों को बैंकिंग व अन्य वित्तीय सेवाएँ उपलब्ध कराता है । सामान्य तौर पर बैंक को एक ऐसी संस्था के रूप में जाना जाता है , जो ग्राहकों को मूलभूत बैंकिंग सेवाएँ उपलब्ध कराने के साथ – साथ व्यक्तियों की जमा राशि स्वीकार करता है , साख सृजन करता है तथा उसी आधार पर ग्राहकों को ऋण सम्बन्धी सेवाएँ उपलब्ध कराता है । बैंकिंग कहलाता है


बैंकिंग सम्बन्धी प्रक्रिया Banking Related Process 

बैंकिंग सम्बन्धी प्रक्रिया या बैंक के मुख्य कार्य निम्न प्रकार है।


 जमा स्वीकार करना 

इन बैंकों का प्रमुख कार्य जनता से जमा स्वीकार करना है । इस राशि के माध्यम से बैंक बचतों ( Savings ) को प्रोत्साहित करने का कार्य करते हैं । इन जमा बचतों पर जमाकर्ता को बैंक द्वारा ब्याज दिया जाता है । 


विभिन्न प्रकार के खाते खोलना 

बैंक जमाकर्ताओं को उनकी सुविधानुसार निम्नलिखित प्रकार के खातों की सुविधा भी उपलब्ध कराता है (

 1. स्थायी खाता ( Permanent Account ) अमेरिका में इसे मियादी जमा ( Time deposit ) कहा जाता है । इस खाते में एक निश्चित अवधि के लिए रकम जमा की जाती है ।स्थायी खाता , बचत खाते की तुलना में अधिक ब्याज देता है । जितने समय के लिए रकम जमा की गई है , उतना समय बीत जाने पर ही निकासी हो सकती है । निश्चित अवधि के भीतर ही निकासी करना आवश्यक हो जाता है , तब स्थायी जमा की जमानत पर कर्ज मिल जाता है । खाता पहले बन्द करने पर जिस शर्त पर रुपया जमा किया गया होता है , उसका पालन नहीं हो पाता है । अत : उक्त समय जो ब्याज रहता है , वही मिलता है ।

 ( ii ) नकद साख खाता ( Cash Credit Account ) यह एक ऋण खाता है । इस खाते के अन्तर्गत बैंक खाताधारी को एक निश्चित मात्रा तक ऋण प्राप्त करने का अधिकार देता है । इसी सीमा के अन्दर ऋणी अपनी आवश्यकतानुसार बैंक से रुपया लेता और जमा भी करता है । ब्याज उसी राशि पर वसूल किया जाता है , जो वास्तव में ऋणी के पास रहती है । 

( iii ) आवर्ती जमा खाता ( Recurring Account ) इस प्रकार के खातों में , एक निश्चित राशि प्रतिमाह , एक निश्चित अवधि के लिए जमा कराई जाती है । बिना किसी असाधारण परिस्थिति के इसमें से रकम को , निश्चित अवधि के पूर्ण होने से पहले निकाला नहीं जा सकता । इन पर दिया जाने वाला ब्याज , जमा खाते की तुलना में अधिक होता है ।

 ( iv ) चालू खाता ( Current Account ) इस खाते में जमा करने वालों को अधिकार है कि वे अपनी इच्छानुसार धन को निकाल सकते हैं एवं जमा कर सकते हैं , इसलिए अमेरिका में इसे माँग जमा भी कहा जाता है । बैंक इस प्रकार के खातों पर जमा हेतु कोई ब्याज नहीं देते एवं एक निश्चित राशि से कम जमा पर जमाकर्ता से व्यय वसूल करते हैं ।

 ( v ) बचत खाता ( Saving Account ) इस प्रकार का खाता प्रायः उन व्यक्तियों के लिए उपयुक्त होता है , जो कभी – कभी तथा बहुत u छोटी – छोटी मात्राओं में रुपया जमा करना या निकालना चाहते हैं । बचत खाता मुख्यतः निश्चित एवं कम आय वाले गृहस्थों की सुविधा के लिए तथा उनमें धन संचय की प्रवृत्ति जाग्रत करने के लिए खोला जाता है ।


ऋण देना

 बैंकों का अन्य महत्त्वपूर्ण कार्य ऋण देना है । बैंक अपने ग्राहकों , उत्पादकों व व्यापारियों आदि को विभिन्न प्रकार की जमानतों पर ऋण देते हैं , ये ऋण अचल सम्पत्तियों तथा व्यक्तिगत जमानत के आधार पर नहीं दिया जाता ।

 बैंक निम्नलिखित प्रकार के ऋण देते हैं

  1.  ओवर ड्राफ्ट – चालू खाता वाले जमाकर्ता को उनके खाते में जमा रकम से अधिक राशि निकालने की सुविधा । 
  2. ऋण तथा अग्रिम ( Debt and Advance )

  1.  विनिमय – पत्रों की कटौती ( Retrenchment of Exchange Bills )

  1.  नकद साख ( Cash Credit ) 
  2. सरकारी प्रतिभूतियों में निवेश ( Investment in Public Securities )

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ई – बैंकिंग एवं इण्टरनेट बैंकिंग 

किसी भी बैंक द्वारा प्रदान की जा रही सेवाओं को किसी भी स्थान से कम्प्यूटर , मोबाइल , या किसी अन्य यन्त्र के द्वारा इण्टरनेट के माध्यम से प्रयोग करना इण्टरनेट बैंकिंग कहलाता है । इसके लिए बैंक बेबसाइट और मोबाइल एप्प बनाकर उसे अपने ग्राहकों को इण्टरनेट के माध्यम से ई – बैंकिंग की सेवा उपलब्ध कराते हैं । इण्टरनेट बैंकिंग द्वारा ग्राहक Personal Identification Number ( PIN ) की सहायता से बैंक से जुड़ी गतिविधियाँ किसी विषय पर अपनी राय , सुझाव , शिकायत आदि दर्ज कराना , चेक बुक , पास – बुक , ड्राफ्ट आदि मँगवाना , बिल व किस्त का भुगतान , धनराशि का हस्तान्तरण आदि कर सकता है । यह सुविधा भी 24 घण्टे उपलब्ध रहती है ।

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एटीएम सुविधा प्रदान करना 

स्वचालित टैलर मशीन ( Automated Teller Machine , ATM ) द्वारा ग्राहक बैंक से जुड़ी अधिकांश गतिविधियाँ जैसे ; धन निकासी , धन जमा करना , चेक बुक अपडेशन , खाते में उपलब्ध राशि की जानकारी आदि पूर्ण कर सकता है । यह सुविधा 24 घण्टे उपलब्ध होती है ।

 एटीएम के निम्न प्रकार है 
  1. • ह्वाइट लेबल एटीएम 
  2. ऑनलाइन एटीएम 
  3. स्टैण्ड एलोन एटीएम 
  4. ऑफ – साइट एटीएम
  5. ब्राउन लेबल एटीएम
  6. ऑफलाइन एटीएम
  7. ऑन-साइट एटीएम



भारत में एटीएम का इतिहास

  •  भारत में सबसे पहला एटीएम वर्ष 1987 में HSBC बैंक द्वारा मुम्बई में स्थापित किया गया । भारत की पहली गैर – बैंकिंग वित्तीय कम्पनी ‘ टाटा कम्युनिकेशन पेमेण्ट सॉल्यूशन ‘ ( इण्डीकैश ) द्वारा चन्द्रपाड़ा , थाणे ( महाराष्ट्र ) में एटीएम स्थापित किया गया । 
  • मोबाइल एटीएम प्रारम्भ करने वाला पहला बैंक ICICI बैंक था ।
  •  दृष्टिहीनों के लिए यूनियन बैंक ऑफ इण्डिया द्वारा पहला बोलता एटीएम अहमदाबाद ( गुजरात ) में प्रारम्भ किया गया था । 
  • भारत का सर्वप्रथम ग्रामीण बैंक एटीएम वाराणसी में नेशनल पेमेण्ट मी कॉर्पोरेशन ने जारी किया ।


एटीएम द्वारा नई बैंकिंग

 सेवाएँ भारतीय रिजर्व बैंक ने 14 जनवरी , 2016 को मशीनों की सहायता से बैंकिंग प्रक्रिया तथा बैंक परिचालन की सुविधा के विस्तार को स्वीकृति प्रदान की । इसके द्वारा एटीएम पर ही बैंक शाखाओं की भाँति ग्राहकों को सभी बैंकिंग सुविधाएँ प्राप्त हो सकेंगी । रिजर्व बैंक ऑफ इण्डिया के इस निर्णय के बाद अब एटीएम ही अपने आप में सम्पूर्ण बैंक की भूमिका के रूप में होंगे । इसके साथ ऋण के लिए आवेदन करने , ड्राफ्ट बनवाने तथा बिलों के भुगतान करने जैसी सुविधाएँ भी एटीएम से प्राप्त की जा सकेंगी । भारतीय स्टेट बैंक का लगभग 48,000 मशीनों का सबसे बड़ा एटीएम नेटवर्क है ।



अपने ग्राहक को जानो

 यह बैंक की प्रमुख प्रक्रिया है । KYC कस्टमर्स के बारे में जानकारी अपडेट करने की एक सामान्य प्रक्रिया है । इस प्रक्रिया के द्वारा यह सुनिश्चत किया जाता है कि कोई व्यक्ति कहीं बैंकिंग सेवाओं का दुरुपयोग तो नहीं कर रहा है । यह बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में प्रयुक्त होने वाला एक लोकप्रिय शब्द है । अपने ग्राहक की पहचान से सम्बन्धित जानकारी प्राप्त करने के लिए KYC विधि का प्रयोग किया जाता है । इस विधि से वित्तीय संस्थाएँ सूचनाओं का संग्रह करते हैं , जिसके आधार पर ग्राहक की पहचान और उसके पते की सही जानकारी प्राप्त की जाती है ।

अपने ग्राहक को जानने सम्बन्धी पंजीयन 

KYC शब्द ग्राहक की पहचान प्रक्रिया के दौरान उपयोग किया जाता है । इस प्रक्रिया के माध्यम से बैंक का प्रयास खाते के असली मालिक की पहचान सुनिश्चित करना है । ग्राहक के व्यापार का प्रकार अर्थात् वह किस प्रकार का व्यापार करता है , के बारे में पता लगाने का प्रयास भी इसके द्वारा किया जाता है । इसके अतिरिक्त यह भी जानने की कोशिश की जाती है कि उसके खातों से होने वाला लेन – देन उसके व्यापार के मुताबिक है भी या नहीं । इस विषय में पता होने से बैंक अपने जोखिम का प्रबन्धन ज्यादा सक्षम तरीके से कर पाते हैं । KYC निर्देशों का मतलब जानबूझकर या अनजाने में की जाने वाली आपराधिक गतिविधियों और मनी लॉण्ड्रिग का पता लगाना है । बैंक ग्राहक की विस्तृत जानकारी के आधार पर उसका विवरण तैयार करता है जिसमें उसके सामाजिक वित्तीय सूचना , बिजनेस , उसका खाता खोलने का उद्देश्य और कारण , फण्ड का स्रोत , मासिक सम्भावित , मासिक निकासी जैसे बिन्दुओं पर ध्यान दिया जाता है ।

 पंजीयन सम्बन्धी दस्तावेज निम्न है 

  1. KYC आवेदन – पत्र उपयुक्त प्रारूप में ।
  2.  पासपोर्ट साइज का फोटो ।
  3.  पैन कार्ड की फोटो प्रति । 
  4. फोटोयुक्त पहचान दस्तावेज ; जैसे – मतदान पहचान – पत्र । 
  5. ड्राइविंग लाइसेन्स , कर्मचारी का पहचान – पत्र आदि की छायाप्रति या मूल पहचान – पत्र । 
  6. निवास का प्रमाण – पत्र , फोटोयुक्त मूल निवास प्रमाण – पत्र , नल , बिजली या बेसिक टेलीफोन का बिल ।

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 बैकों का महत्त्व IMPORTANCE OF BANK 


बैंकों के महत्त्व को आर्थिक विकास की दृष्टि से निम्न प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है।

 बचत की आदत को प्रोत्साहन

 बैंक सुविधाएँ उपलब्ध होने से लोगों में बचत करने की आदत को बढ़ावा मिलता है तथा लोग अपनी बचतरूपी धनराशि को बैंक में जमा करने के लिए उत्सुक रहते हैं ।

 नकदी को सुरक्षित रखना

 बैंक नकदी को सुरक्षित रखने का कार्य भली – भाँति करता है । बैंक के साथ – साथ नकदी को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी आम नागरिक की भी है । आम नागरिक नकदी को सुरक्षित रखने के कुछ प्रयास ; जैसे — नोट पर कुछ लिखे नहीं , नोट में पिन न लगाएँ , नोट को अधिक मोड़े नहीं आदि कर सकता है । नकदी को सुरक्षित रखने के लिए यह भी आवश्यक है कि नकदी का लेन – देन बैंक में केवल उन्हीं कर्मचारियों द्वारा किया जाना चाहिए , जो इसके लिए अधिकृत हैं । इन कर्मचारियों का पुनरावलोकन उचित रूप से बैंक अधिकारियों द्वारा प्रत्येक क्षेत्र में किया जाना चाहिए । 

कीमतों में उतार – चढ़ाव पर रोक 

केन्द्रीय तथा अन्य बैंक साख तथा मुद्रा की मात्रा को नियन्त्रित करते हैं , जिससे उनकी कीमतों में होने वाले उतार – चढ़ाव पर भी रोक लगाई जाती है । कीमत वृद्धि के समय साख – संकुचन द्वारा तथा कीमतों में कमी होने पर साख विस्तार द्वारा कीमतों में स्थिरता लाई जाती है । बैंक द्वारा साख निर्माण बैंक अपनी नकद जमा से कई गुना अधिक धनराशि उधार देकर देश में निवेश व रोजगार को बढ़ावा देते हैं । इससे बैंकों का साख विस्तार होता है ।


बैंक द्वारा साख निर्माण 

बैंक अपनी नकद जमा से कई गुना अधिक धनराशि उधार देकर देश में निवेश व रोजगार को बढ़ावा देते हैं । इससे बैंकों का साख विस्तार होता है । 

बैंक द्वारा वित्तीय साधनों की पूर्ति में सन्तुलन

 बैंक द्वारा उन क्षेत्रों से धनराशि एकत्र की जाती है , जहाँ उसकी अधिकता है तथा इस धनराशि को कम धनराशि वाले स्थानों पर स्थानान्तरित कर दिया जाता है । इसके द्वारा वित्तीय साधनों की पूर्ति में सन्तुलन बना रहता है ।

 बैंकों के अन्य महत्त्व

 बैंको के अन्य महत्त्व निम्न प्रकार है।

( i ) किसी क्षेत्र के आर्थिक विकास में योगदान ( Role in Economic Development ) बैंक की शाखाएँ जिन क्षेत्रों में भी खोली जाती हैं , उस क्षेत्र में कृषि , उद्योग , आदि को पूँजी का लाभ मिलने लगता है । परिणामस्वरूप , इस क्षेत्र में आर्थिक विकास मजबूत होने लगता है । 
( ii ) धनराशि का स्थानान्तरण ( Transection of Money ) बैंकों द्वारा बड़ी – से – बड़ी धनराशि को एक स्थान से दूसरे स्थान पर सरलता से भेजा जा सकता है , जिसके कारण पूँजी की गतिशीलता में वृद्धि हुई है । 
( iii ) विदेशी व्यापार में सहायक ( Helpful in foreign trade ) विदेशी मुद्रा का लेन – देन विनिमय बैंकों द्वारा किया जाता है । ये बैंक मुद्रा का लेन – देन करके विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित करते हैं ।

( iv ) भुगतानों को सरल बनाना ( Payment in easy way ) बैंकों द्वारा भुगतान का कार्य अत्यन्त सरल हो गया है । लोग चेक , ड्राफ्ट , आदि के द्वारा बड़ी सरलता से एक – दूसरे को भुगतान कर देते हैं । 
( v ) मुद्रा का निर्गमन ( Issue of Currency ) वर्तमान समय में मुद्रा का निर्गमन किसी देश के केन्द्रीय बैंक द्वारा किया जाता है । यह बैंक देश की मौद्रिक आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर मुद्रा का निर्गमन करता है । 
( vi ) सरकार को वित्तीय सहायता ( Financial help of L Government ) केन्द्रीय बैंक आवश्यकतानुसार सरकार को वित्तीय सहायता भी उपलब्ध कराता रहता है । 
( vii ) सार्वजनिक ऋण का प्रबन्ध ( Management of public Debt ) आवश्यकतानुसार बैंकों द्वारा सार्वजनिक ऋण की भी व्यवस्था की जाती है । 
( viii ) बैंकों द्वारा मौद्रिक नीति को लागू करना ( Regulate and issue of monetary policy ) सरकार तथा केन्द्रीय बैंक मौद्रिक नीति बनाते हैं , जिसको लागू करने का दायित्व देश के बैंकों पर ही होता है । 
 ( ix ) ग्राहकों को विभिन्न सेवाएँ तथा सुविधाएँ देना ( Provides of different services and facilities ) बैंकों द्वारा अपने ग्राहकों को विभिन्न सेवाएँ तथा सुविधाएँ प्रदान की जाती हैं ; जैसे – ग्राहकों की ओर से भुगतानों का लेन – देन , यात्री चेक जारी करना , बीमा किस्त अदा करना , आदि ।

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व्यक्तिगत संकट Personal Risk 

एक व्यक्ति  का जीवन अनिश्चितताओं से भरपूर है तथा इन अनिश्चितताओं के चलते उसे अपने जीवन काल में अनेक व्यक्तिगत संकटों का सामना करना पड़ता है , जोकि निम्नलिखित है 

( i ) जीवन का संकट 
( ii ) सम्पत्ति को नुकसान का संकट 
( iii ) बीमारी का संकट 
( iv ) एक्सीडेंट से सम्पूर्ण अथवा आंशिक अयोग्यता का संकट आदि । इन सब संकटों से बचने के लिए तथा इन संकटों से होने वाली हानि से रक्षा हेतु एक व्यक्ति बीमा का सहारा ले सकता है ।


बीमा Insurance 

बीमा की परिभाषा एक लिखित संविदा के रूप में की जा सकती है , जिसके अन्तर्गत एक पक्ष दूसरे पक्ष के लिए नियत राशि जिसे प्रीमियम कहा जाता है , के प्रतिफल में , अनिश्चितता के कारण होने वाले नुकसान या क्षति के बदले में क्षतिपूर्ति को पूरा करना होता है । वह व्यक्ति / व्यवसायी जो अपने जीवन / सम्पत्ति का बीमा कराता है बीमित कहलाता है । वह एजेंसी जो बीमा करार करवाने के पक्ष में है बीमाकर्ता अथवा बीमा कम्पनी कहलाती है । बीमा किए जाने वाला करार या संविदा पॉलिसी कहलाता है । बीमा पॉलिसी लमें जीवन – बीमा में मृत्यु और गैर – जीवन बीमा में समय , स्वास्थ्य और सम्पत्ति से जुड़े जोखिमों के लिए सुरक्षा मिलती है ।


टर्म इंश्योरेंस Term Insurance 

यह व्यक्ति के जीवन के जोखिम को लेकर निश्चित अवधि के लिए बीमा सुरक्षा देती है । इसमें पॉलिसी की अवधि के दौरान धारक की मृत्यु होने पर उसके आश्रितों को बीमा की रकम का भुगतान किया जाता है । यदि पॉलिसी धारक पूरी अवधि तक जीवित रहता है तो उसे कोई भुगतान नहीं मिलता । टर्म पॉलिसी का उद्देश्य केवल सुरक्षा देना होता है और इसी वजह से इसका प्रीमियम भी अन्य योजनाओं की तुलना में कम होता है । टर्म इंश्योरेंस के द्वारा कम कीमत पर अधिक सुरक्षा ले सकते हैं । 

 एनडॉउमेण्ट पॉलिसी Endowment Policy

 इस टर्म इंश्योरेंस की तरह की ही बीमा योजना है । इसमें पॉलिसीधारक को अवधि पूरी होने पर सर्वाइवल बेनेफिट प्रदान किया जाता है । यह निश्चित अवधि के लिए होती है और समाप्त होने पर व्यक्ति को सम एश्योर्ड के साथ पॉलिसी पर जमा बोनस मिलता है । यदि पॉलिसी की परिपक्वता से पहले व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो उसके नामांकित को बीमा की रकम अदा की जाती है । एनडॉउमेण्ट पॉलिसी के प्रीमियम का निवेश बीमा कम्पनियाँ सरकारी सेक्टर जैसे कम जोखिम वाले उत्पादों में करती है ।

होल लाइफ पॉलिसी Whole Life Policy

 इस बीमा पॉलिसी के अन्तर्गत बीमाधारक को पूरे जीवन के लिए सुरक्षा देती है और उसके आश्रितों को लाभ का भुगतान किया जाता है । पॉलिसीधारक को जीवित रहने के दौरान कोई लाभ नहीं मिलता ।




मनी बैक पॉलिसी Money Back Policy 

इस बीमा योजना के अन्तर्गत बीमाधारक को जोखिम से सुरक्षा के साथ ही निश्चित अन्तराल पर भुगतान भी दिया जाता है । यह पॉलिसी निश्चित अवधि के लिए जारी की जाती है और धारक को सम एश्योर्ड का भुगतान पॉलिसी की अवधि के दौरान मिलता है । यदि व्यक्ति की मृत्यु पॉलिसी की अवधि के दौरान होती है तो उसके आश्रितों को पूरी बीमा राशि और जमा बोनस का भुगतान किया जाता है ।

 यूनिट लिंक्ड बीमा योजना Unit Linked Insurance Plan 

इस बीमा योजना के अन्तर्गत सुरक्षा के फण्ड जैसे निवेश का लाभ भी मिलता है । इसके अतिरिक्त इसमें निवेश हेतु बहुत से विकल्प होते हैं , जिसमें ग्राहक अपनी क्षमता के अनुसार निवेश का उपयुक्त विकल्प चुन सकते हैं । इसमें प्रीमियम का एक हिस्सा मॉरटैलिटी चार्ज और अन्य शुल्कों में और शेष का निवेशक द्वारा चुने गए फण्ड में निवेश किया जाता है । बीमा नियामक आयोग ने हाल ही में इस योजना के शुल्कों की अधिकतम सीमा कर दी जिससे इसकी लोकप्रियता बढ़ने की काफी संभावना है ।



Conclusion
मैं आशा करता हूं कि Personal Finance Manegment in Hindi के इस पोस्ट में आप लोगों को पर्सनल फाइनेंस मैनेजमेंट से जुड़ी तथा बैंकिंग सिस्टम से जुड़ी हर सवाल का जवाब मिल गया होगा अगर आप लोगों को यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो अपने मित्रों के साथ भी शेयर जरूर करें।
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