Quality Management System in Hindi (Full detail) क्वालिटी मैनेजमेंट

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Quality management system in Hindi

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Quality management system in Hindi

Quality management system in Hindi

इस पोस्ट में निम्न विषयों पर चर्चा किया जाएगा।

  1. Meaning of quality management system
  2. Factors of quality management system
  3. Total quality management
  4. Phases of total Quality Management
  5. International standard organisation
  6. ISO 9000
  7. ISO 14000
  8. Bureau of Indian standards (BIS)
  9. Bureau of Indian standards (BIS) Act,2005

गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली का अर्थ
Meaning of quality management system in Hindi

एक ऐसी प्रणाली है जिसे संस्थान या संगठन अपनी सेवाओं और गुणवत्ता को व्यवस्थित करने के लिए प्रयोग करता है। अंतर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन (150) के अनुसार गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली (quality management system) एक ऐसी प्रणाली है जो गुणवत्ता के बारे में संगठन को निर्देशित एवं नियंत्रित करने के लिए प्रयोग की जाती है।

गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के उद्देश्य निम्न हैं।
  1. इस प्रणाली में उनका कारको का अध्ययन किया जाता है जो गुणवत्ता प्रबंधन पर असर डालते हैं।
  2. किसी भी उत्पाद की गुणवत्ता को उसके बनने से लेकर उसके पूर्ण होने तक निर्धारित मानदंडों के अनुसार पूर्ण करते हैं।
  3. इसमें निर्धारित मानदंडों का अध्ययन किया जाता है। ISO 9000 गुणवत्ता प्रणाली के उपयोग के विषय में जाना जाता है।
  4. गुणवत्ता प्रबंधन के विभिन्न सिद्धांतों के विषय में जानकारी लेना।

गुणवत्ता प्रबंधन प्रणाली के कारक
Factors of quality management system in Hindi


गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली के कारक निम्न है।
  1. उत्पाद की गुणवत्ता 
  2. कार्यविधि
  3.  मशीनों की गुणवत्ता व क्षमता 
  4. प्रक्रम 
  5. कच्चा माल

कुल गुणवत्ता प्रबन्धन Total Quality Management System in Hindi

कुल गुणवत्ता प्रबन्धन एक संगठनात्मक स्तर पर गुणवत्ता का प्रबन्धन करता है । इसमें कुल का अर्थ है कि किसी भी संगठन में उपभोक्ता को संतुष्ट करने के लिए सभी पहलुओं को सम्मिलित करना । कुल गुणवत्ता को कुल इसलिए कहा जाता है , क्योंकि इसमें दो प्रकार की गुणवत्ताएँ होती हैं।

 ( i ) हिस्सेदारों की आवश्यकताओं को पूर्ण करने की गुणवत्ता।
 ( ii ) उत्पादों की गुणवत्ता।



कुल गुणवत्ता प्रबन्धन के चरण Phases of Total Quality Management System in Hindi
 जापान में , कुल गुणवत्ता प्रबन्धन के निम्न चार प्रक्रियात्मक चरण होते हैं , जो इस प्रकार हैं 
( i ) कैजन ( Kaizen ) यह सतत सुधार की प्रक्रिया पर केन्द्रित होता है ।
 ( ii ) एटेरिमें हिन्शुत्सु ( Atarimae Hinshitsu ) यह इस विचार पर आधारित है कि कोई भी वस्तु या उत्पाद अपने आपेक्षित कार्य को करता है । उदाहरण के लिए – कलम एक उत्पाद है , जिसका काम लिखना है ।
 ( iii ) केंजी ( Kansei ) इसमें प्रयोगकर्ता जिस तरीके से उत्पाद को लागू करता है , उस तरीके का परीक्षण कर उत्पाद की गुणवत्ता में सुधार उत्पन्न किया जा सकता है ।
 ( iv ) मिरयोकुटिकि हिन्शुत्सु ( Miryokuteki Hinshitsu ) इसके अनुसार उत्पादों में सौन्दर्य गुणवत्ता होनी चाहिए । उदाहरण के लिए – एक कलम की लिखावट ऐसी हो जिससे लेखक प्रसन्न हो जाए । कुल गुणवत्ता प्रबन्धन के लिए यह आवश्यक है कि कम्पनी गुणवत्ता के इस मानक को अपने व्यवसाय के सभी क्षेत्रों में कायम रखे । इसके लिए यह आवश्यक है कि प्रथम प्रयास में कार्य सही रूप में किया जाए एवं त्रुटि या क्षय को ऑपरेशन से अलग रखा जाए ।

अन्तर्राष्ट्रीय मानकीकरण संगठन International Standard Organisation (ISO)


 इसकी स्थापना 23 फरवरी 1947 को हुई थी । इसका मुख्यालय जेनेवा , स्विट्जरलैण्ड में स्थित है । इसमें लगभग 200 कमेटियाँ है , प्रत्येक कमेटी किसी विशेष क्षेत्र के लिए जिम्मेदार है । 

ISO 9000

ISO 9000 को वर्ष 1987 में अपनाया गया । यह गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली के लिए मानकों का एक क्रम है । मानकीकरण के लिए ISO एक अन्तर्राष्ट्रीय संगठन है , जिसका उद्देश्य अन्तर्राष्ट्रीय गुणवत्ता मानकों पर एक सहमति स्थापित करना होता है । ISO के नियमों में आवश्यकता के अनुसार परिवर्तन होते रहते हैं । ISO 9000 कम्पनियों को यूरोपियन मार्केट में अपने उत्पादों के विपणन में मदद करती है । कम्पनियों के लिए यह आवश्यक है कि वे ISO 9000 से अवश्य ही प्रमाणित हों । ISO प्रमाणित कम्पनियों के लिए ग्राहकों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता समझाने में आसानी होती है । ये मानक सभी प्रकार की कम्पनियों में लागू होते हैं एवं इन्हें वैश्विक स्वीकृति प्राप्त है ।
Quality management system in Hindi

Quality management system in Hindi

ISO 9000 की कुछ महत्त्वपूर्ण विशेषताएँ निम्नलिखित है।

1. ISO 9000 प्रमाण , प्रमाणित लेखा परीक्षकों द्वारा प्रदान किए जाते हैं ।

2.पंजीकरण का निर्धारण ग्राहकों की आवश्यकताओं एवं प्रतिस्पर्धा दबावों के द्वारा किया जाता है ।

3.आवश्यकता पड़ने पर प्रबन्धन सांख्यिक पद्धतियों का प्रयोग कर सकता है । गुणवत्ता प्रणाली का ध्येय आवश्यकता की अनुरूपता को निर्धारित करना होता है ।

4.यह सत्यापित करती है कि फैक्ट्री , कार्यालय या प्रयोगशाला सभी पूर्व निर्धारित गुणवत्ता सम्बन्धी आवश्यकताओं को पूरा करते है । 

5. ISO 9000 एक गुणवत्ता प्रणाली मानक है , जिसे संसार में किसी भी प्रक्रियाओं के फलस्वरूप निर्मित उत्पाद या सेवा के गुणवत्ता निर्धारण में लागू किया जाता है ।



दिसम्बर , 2000 में ISO 9000 में पहली बार एक बड़ा परिवर्तन किया गया जिसके फलस्वरूप तीन नए मानकों का सूत्रपात किया गया , जो इस प्रकार हैं

( i ) ISO 9000 : 2000 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली ( ISO 9000 : 2000 Quality Management System In Hindi ) यह मानकों में प्रयुक्त शब्दावली एवं परिभाषाएँ प्रदान करता है । मानकों की प्रणाली को समझने का यह प्रारम्भिक स्तर है ।

 ( ii ) ISO 9001 : 2000 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली ( ISO 9001 : 2000 Quality Management System in Hindi ) यह वह मानक है जिसका प्रयोग फर्म के गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली के प्रमाणीकरण में किया जाता है । इसका प्रयोग इस बात को सिद्ध करने में किया जाता है कि गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली एवं ग्राहकों की आवश्यकता के मध्य अनुरूपता है ।

( iii ) ISO 9004 : 2000 गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली ( ISO 9004 : 2000 Quality Management System In Hindi ) यह गुणवत्ता प्रबन्धन प्रणाली स्थापित करने के लिए दिशा – निर्देश प्रदान करती है । इसका उद्देश्य केवल ग्राहकों की आवश्यकताओं को पूरा करना ही नहीं बल्कि प्रदर्शन में सुधार लाना भी होता है । इन तीन मानकों का प्रयोग सबसे व्यापक रूप से होता है एवं बहुत – सी कम्पनियाँ इन्हें लागू करती हैं । ISO प्रमाण – पत्र प्राप्त करने के लिए किसी कम्पनी को अपनी गुणवत्ता प्रक्रियाओं से सम्बन्धित विस्तृत दस्तावेजों को प्रदान करना होता है ।


ISO 14000 AF1 ISO 14000 Standards

गुणवत्ता के मानकीकरण की आवश्यकता ने अन्य मानकों के विकास के लिए एक आवेग उत्पन्न किया । वर्ष 1996 में अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन ने कम्पनी में पर्यावरण सम्बन्धी जिम्मेदारियों के मूल्यांकन के लिए एक मानक को प्रस्तावित किया , जो ISO 14000 के रूप में जाना गया ।

कुछ लोकप्रिय मानक

QUALITY MANAGEMENT SYSTEM IN HINDI 

मानक विषय
ISO 639 भाषा कूट
ISO 3166 देश के कूट
ISO 4217 मुद्रा कूट
ISO 9000 गुणवत्ता प्रबंधन
ISO 14000 पर्यावरणीय प्रबंधन
ISO 22000 खाद्य सुरक्षा प्रबंधन
ISO 26000 सामाजिक दायित्व
ISO 31000 जोखिम प्रबंधन
ISI 50001 ऊर्जा प्रबंधन

भारतीय मानक ब्यूरो Bureau of Indian Standards , (BIS)


इसकी स्थापना वर्ष 1947 में हुई थी । इसका मुख्यालय दिल्ली में स्थित है । यह ब्यूरो उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए प्रमाणन योजना पर कार्य करता है । इस योजना के अन्तर्गत उत्पादन कर्ताओं को भारतीय मानकों के अनरूप अपने उत्पाद का निर्माण करके ISI चिह्न प्राप्त करने के लिए BIS में आवेदन देना होता है और उत्पाद की विस्तृत जाँच के पश्चात् यदि वह मानकों पर खरा उतरता है , तो उसे ISI प्रमाणपत्र प्रदान कर दिया जाता है । गुणवत्ता को नियन्त्रित करने के लिए BIS के निरीक्षक कम्पनी का निरीक्षण करते हैं । इसके साथ ही अपने वाले कच्चे माल , उत्पाद की जाँच तथा अन्य जरूरी टैस्ट भी किए जाते हैं।



भारतीय मानक ब्यूरो के कार्य Functions of Bureau of Indian Standards

भारतीय मानक ब्यूरो के सात प्रकार के कार्य होते है , जो निम्न है 

( i ) सामान्य कार्य ( General Work ) इसमें मानकीकरण , चिह्नीकरण और गुणवत्ता प्रमाण की गतिविधियों का सुव्यवस्थित विकास किया जाता है । मानकों को मान्यता देने के लिए एक राष्ट्रीय रणनीति तैयार की जाती है तथा उन्हें औद्योगिक उत्पादन , निर्यातों की वृद्धि और विकास के साथ जोड़ा जाता है ।

( ii ) मानक निर्माण ( Standard Formation ) 31 मार्च , 2008 तक भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा निर्मित 18424 मानकों का उपयोग हो रहा है , जबकि 2001-02 में 17658 का ही रहा था । ये अर्थव्यवस्था में महत्त्वपूर्ण हिस्सों को शामिल करते हैं , जो उद्योगों को अपनी वस्तुओं और सेवाओं की गुणवत्ता में सुधार लाने में मदद करता है । भारतीय मानक ब्यूरो एक समयबद्ध कार्यक्रम के रूप में राष्ट्रीय प्राथमिकताओं के अनुरूप आवश्यकता के आधार पर भारतीय मानकों का निर्माण करता है । 

( iii) उत्पाद प्रमाणन योजना ( Product Verification Scheme ) भारतीय मानक ब्यूरो की उत्पाद प्रमाणन योजना मूलत : स्वैच्छिक प्रकृति है । यह मानक उपभोक्ता के स्वास्थ्य एवं सुरक्षा में मद्देनजर और व्यापक उपभोग के मामलों में सरकार द्वारा अनेक वैधानिक उपायों जैसे ; खाद्य मिलावट निषेध अधिनियम , कोल माइन्स रेगुलेशन्स और भारतीय गैस सिलेण्डर नियम और भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम के माध्यम से इसे अनिवार्य बनाया गया है । । 

( iv ) हॉलमार्किंग ( Hallmarking ) सोने के आभूषण पर हॉलमार्किंग एक बहुत लोकप्रिय योजना है । यह भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम , 1986 के अन्तर्गत ऐच्छिक आधार पर अप्रैल , 2002 में शुरू हुई थी । इसका लक्ष्य उपभोक्ता के हितों का संरक्षण और सोने की शुद्धता पर उपभोक्ता को तीसरे पक्ष की गारंटी प्रदान करना है ।

 ( v ) प्रबन्धन तन्त्र प्रमाणन ( Verification Management System ) प्रबन्धन तन्त्र प्रमाणन के अन्तर्गत भारतीय मानक ब्यूरो अन्य महत्त्वपूर्ण तन्त्र प्रमाणन की योजनाएँ चलाता है । गुणवत्ता प्रबन्धन तन्त्र प्रमाणन योजना सितम्बर , 1919 में शुरू की गई थी ।

( 6 ) अन्तर्राष्ट्रीय प्रक्रियाएँ ( International Produre ) वर्ष 1947 में अपनी स्थापना के बाद से ही ब्यूरो अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन और अन्तर्राष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग जैसे अन्तर्राष्ट्रीय संगठनों का सक्रिय सदस्य रहा है । भारतीय मानक ब्यूरो अन्तर्राष्ट्रीय मानक संगठन और अन्तर्राष्ट्रीय विद्युत तकनीकी आयोग में एक सदस्य निकास के रूप में भारत का प्रतिनिधित्व करता है ।

 ( vii ) उपभोक्ता संरक्षण ( Consumer Protection ) देश में उपभोक्ताओं की बढ़ती उम्मीदों को पूरा करने के लिए भारतीय मानक ब्यूरो में उपभोक्ता संरक्षण और सार्वजनिक शिकायतों से निपटने के लिए इस विभाग की स्थापना की यह विभाग उपभोक्ता मामलों पर केन्द्रीय उपभोक्ता संरक्षण परिषद और उपभोक्ता एसोसिएशनों के साथ बातचीत करता है और उपभोक्ता मामले और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के साथ समन्वय करता है । इसमें शिकायतों को ऑनलाइन भी दर्ज कराया जा सकता है और सभी दर्ज शिकायतों की नियमित रूप से निगरानी की जाती है ।




भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक , 2005 Bureau of Indian Standards ( BIS ) Act , 2005 


3 दिसम्बर , 2015 को लोकसभा ने भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक , 2015 को पारित कर दिया । यह विधेयक भारतीय मानक ब्यूरो अधिनियम , 1986 का स्थान लेगा । इस विधेयक के माध्यम से BIS अधिनियम की सीमा में वृद्धि की जाएगी , जिससे की केन्द्र सरकार को कुछ निश्चित अधिसूचित सामान , सेवाओं तथा प्रक्रियाओं को मानक स्तर पर लाने की शक्ति प्राप्त हो जाएगी ।





भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक के प्रमुख प्रावधान ।

भारतीय मानक ब्यूरो विधेयक के प्रमुख प्रावधान निम्न है।



 1. इस विधेयक के माध्यम से सामान सेवाएँ एवं प्रणाली ( System ) को BIS मानकीकरण में सम्मिलित किया गया है , जबकि BIS अधिनियम , 1986 में वस्तुओं एवं प्रक्रियाओं को शामिल किया गया था ।


 2. ब्यूरो द्वारा गुणवत्ता आश्वासन बनाए रखने के लिए परीक्षण प्रयोगशालाओं की स्थापना का प्रावधान भी विधेयक में किया गया है । 


3. कीमती धातुओं जैसे – सोना , चाँदी , प्लेटिनम , पैलोडियम या उनके मिश्र धातुओं के प्रमाणन के लिए एक हॉलमार्क का प्रयोग किया जाएगा , जो कीमती धातु में भारतीय मानकानुसार अनुपात सामग्री इंगित करेगा । ऐसी वस्तुएँ प्रमाणित दुकानों में बेंची जाएँगी ।


 4. इस विधेयक के माध्यम से केन्द्र सरकार को उन निश्चित वस्तुओं के लेखन की अनुमति प्राप्त हो जाती हैं , जिन्हें मानक चिह्न के अन्तर्गत लाना है । भारतीय मानक चिह्न का दुरुपयोग करने वाले पर ₹ 5 लाख  तक का जुर्माना लगाया जा सकता है ।


5. ब्यूरो के महानिदेशक के आदेश के खिलाफ अपील केन्द्र सरकार को की जा सकती है । 


6. उपभोक्ताओं को ISI प्रमाणित वस्तुएँ प्राप्त होगी तथा उत्पादों के आयात पर रोक लगेगी । ध्यातव्य है कि 17 जून , 2015 को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मन्त्रिमण्डलीय समिति ने BIS विधेयक , 2015 को अपनी मंजूरी प्रदान की थी ।



Conclusion

दोस्तों मैं आशा करता हूं कि आप लोगों को quality management system in Hindi के इस पोस्ट में Quality Management System से जुड़े हर एक सवाल का जवाब मिल गया होगा। और अगर आप लोगों को यह पोस्ट अच्छी लगी हो तो आप अपने मित्रों के साथ इस पोस्ट को जरुर शेयर करें

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