Diwali Essay in Hindi – दिवाली पर निबंध {Diwali Ka Nibandh} 2022

Diwali Essay in Hindi {Diwali Ka Nibandh} 

Diwali Essay in Hindi {Diwali Ka Nibandh}
Diwali Essay in Hindi – दिवाली पर निबंध {Diwali Ka Nibandh} 

भारत उत्सव का देश है यहां हर महीने तरह तरह के उत्सव होते रहते हैं जैसे होली, रक्षाबंधन, छठ दुर्गा पूजा गणेश पूजा काली पूजा और दीपावली इस पोस्ट (Diwali Essay in Hindi) में दीपावली के बारे में चर्चा करेंगे इस पोस्ट में आपलोगो को Diwali Ka Nibandh की पूरी जानकारी दी गई है। यह पोस्ट स्कूल जाने वाले बच्चों के लिए भी बहुत उपयोगी होगी क्योंकि उन्हें कभी-कभ प्रतियोगी परीक्षाओं में दीपावली पर लेख लिखने को आ सकता है इस पोस्ट में स्कूली बच्चों के नीचे अलग से दीपावली पर लेख लिखा गया है diwali essay in Hindi for child  उसे अवश्य पढ़ें और अगर यह पोस्ट Diwali Essay in Hindi – दिवाली पर निबंध {Diwali Ka Nibandh} आप लोगों को अच्छी लगे तो अपने मित्रों के साथ भी शेयर जरूर करें


Diwali Essay in Hindi

भूमिका कार्तिक अमावस्या की काली कसौटी सी अंधेरी रात चारों ओर अंधकार ही अंधकार हाथ को हाथ नहीं सूझता मानो , मनुपुत्र मनपोर स्वांत में तिमिंगल कार्तिक अमावस्या की काली कसौटी – सी अंधेरी रात । चारों और अंधकार तिलमिला उठा । उसने मंत्रवाणी में पुकारा- ‘ तमसो मा ज्योतिर्गमय ‘ , हम प्रकाश की ओर चलें , उसने वेदवाणी में गुहार मचाई – ‘ स नो ज्योतिः ‘ हमें प्रकाश दीजिए : उसने बाइबिल की भाषा में संकल्प व्यक्त किया Let there be light and there was light . बस , क्या था , जल उठे मिट्टी के बिलकुल निर्वात पूर्ण निष्कंप सज गई दीपमालाएँ और स्मरण दिलाने लगीं उस ज्ञानालोक के अभिनव अंकुर की , जिसने मनुष्य की कातर प्रार्थना को दृढ़ संकल्प का रूप दिया था – अंधकार से जूझना है , विघ्न – बाधाओं के वक्षःस्थल पर अंगदचरण रोपना है , संकटों के तूफान का सामना करना है । परिणाम हुआ , ज्योति के सिंहशावक के भय से भाग उठी तमिस्रा की कोटि कोटि गजवाहिनी , विध उठे आलोकशर से उनके अंग – प्रत्यंग । धरती का प्रकाश स्वर्ग के सोपान को भी प्रकाशित करने लगा । खिल उठा खुशियों का सहस्रदल कमल , बज उठे आनंद के अनगिनत सितार । 

परंपरा कहते हैं , जिस दिन पुरुषोत्तम राम लोकपीड़क रावण का संहार कर अयोध्यापुरी लौटे थे , उस दिन भारत की सांस्कृतिक एकता के अभिनव अभियान का अध्याय खुला था । इसे चिरस्मरणीय बनाने के लिए परस्पर , नगर – नगर दीप जलाकर ज्योतिपर्व मनाया गया था । कहते हैं , तभी से दीपावली का शुभारंभ हुआ ।

                            यह भी कहा जाता है कि जब श्रीकृष्ण ने नरकासुर जैसे आततायी का वध किया था , तब से यह प्रकाशपर्व मनाया जाने लगा दीपों की आवली सजाकर और तभी से इस त्योहार का श्रीगणेश माना जाता है । कभी वामनविराट ने दैत्यराज बलि की दानशीलता की परीक्षा ली थी , उसका दर्पदलन किया था और तभी से उसकी स्मृति में यह आलोकोत्सव मनाया जाता है । जैनधर्म के महान तीर्थंकर वर्धमान महावीर इसी दिन पृथ्वी पर अपनी ज्योति फैलाकर महाज्योति में विलीन हो गए थे इसलिए भी इसका महत्त्व है । महान महर्षि स्वामी रामतीर्थ की भी यही जन्म एवं निर्वाण की तिथि है । आधुनिक भारतीय समाज के निर्माता और आर्यजगत के मंत्रद्रष्टा स्वामी दयानंद का भी यही निर्वाण दिवस है । इस प्रकार , दीपावली पौराणिक , सांस्कृतिक , धार्मिक एवं आधुनिक कथादीपों की संवाहिका है । 

महत्व दीपावली जब आती है , तब सांस्कृतिक त्योहारों की एक स्वर्णश्रृंखला ले आती है , एक के पीछे एक आनेवाले पाँच त्योहारों का सम्मेलन उपस्थित कर देती है । त्रयोदशी को ‘ धनतेरस ‘ का यमदीप जलाया जाता है , अकालमृत्यु से बचने के लिए यमराज का आशीर्वाद प्राप्त किया जाता है । इसी दिन धन्वंतरि जयंती भी मनाई जाती है । दीर्घायुष्य एवं अकालपरिहार के लिए इसे राष्ट्रव्यापी त्योहार का रूप देना कितना आवश्यक है , यह हम भलीभाँति समझ सकते हैं । चतुर्दशी को ‘ नरकचौदस ‘ या ‘ नरकचतुर्दशी ‘ का त्योहार मनाया जाता है । नरक तो ‘ नरकासुर ‘ की याद दिलाता ही है , साथ ही नरक गंदगी को भी कहते हैं । जहाँ गंदगी है वहाँ रोग है ; जहाँ रोग है , वहाँ मृत्यु है – यमराज है । अतः , नरक अर्थात गंदगी को दूर भगाने के लिए सफाई का अभियान जरूरी है । यही कारण है कि दीपावली के समय घर की सफाई , लिपाई – पोताई , रँगाई इत्यादि की जाती है । किंतु , हमारे देश में जितनी स्वच्छता अपेक्षित है , वह अब भी नहीं हो पाई है । क्या ही अच्छा हो यदि हम इस दिन पूरे राष्ट्र की स्वच्छता का व्रत लें । दीपावली तो पाप और पुण्य की विजयगाथा कहती है । दीपावली के दूसरे दिन अर्थात प्रतिपदा को ‘ गोवर्धनपूजा की जाती है , क्योंकि इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छिगुनी पर गोवर्धन धारण कर ब्रजवासियों को मृत्युत्रास से मुक्त किया था । द्वितीया के दिन ‘ भ्रातृद्वितीया ‘ या ‘ भाईदूज ‘ का त्योहार मनाया जाता है , जो यमराज और उनकी बहन यमी के पावन प्रेम के साथ – साथ सभी भाई – बहनों के पवित्र एवं व्यापक प्रेम की याद दिलाता है । इस प्रकार , ‘ धनतेरस ‘ से ‘ भाईदूज ‘ तक – ये पाँच त्योहार एक के पीछे एक आते हैं और इनमें सांस्कृतिक राष्ट्रीयता के तत्त्व भरे पड़े हैं । इन सभी त्योहारों पर कालपुरुष सार्वभौम स्वामी यमराज का आशीर्वाद फैला हुआ है ‘ दीवाली ‘ यद्यपि भारतीय संस्कृति की गौरवगरिमा की कहानी कहती हैं , तथापि इसमें संकीर्णता एवं सांप्रदायिकता की बू नहीं है । दीपोत्सव के त्योहारपंचक को सब धर्मों का , सब जातियों का पंचायतन राष्ट्रीय त्योहार बना सकें , तो हम राष्ट्रीय एकता का नेतृत्व कर सकेंगे । ‘ वसंतपंचमी ‘ यदि ज्ञान की आराधना का पर्व है , तो ‘ दीपावली ‘ अर्थ की ‘ आराधना ‘ का त्योहार ; क्योंकि हमारे चार पुरुषार्थों- -धर्म , अर्थ , काम और मोक्ष में अर्थ का स्थान भी कम महत्त्वपूर्ण नहीं । ‘ होली ‘ यदि रंगों का त्योहार है , तो ‘ दीपावली प्रकाश का । मथुरा – वृंदावन की होली मशहूर है । मैसूर और कलकत्ता की दुर्गापूजा विख्यात है , तो अमृतसर और लखनऊ की दीपावली । इस दिन दीपों , मोमबत्तियों तथा बल्बों की ऐसी सजावट होती है कि लगता है , सौ – सौ शका – रजनियाँ निष्प्रभ हो गई हैं , आकाश के देदीप्यमान नक्षत्र जैसे अवनि की गोद में विराज रहे हैं । लगता है , चारों ओर ज्योति के निर्झर झर रहे हों , प्रकाश के फव्वारे छूट पड़े हों ! दीपावली के अवसर पर दीवारों पर लाभ – शुभ ‘ लिखा जाता है , दरवाजों पर दीर्घायुष्य और कल्याण के प्रतीक ‘ स्वस्तिक ‘ के चिह्न बनाए जाते हैं तथा अष्टदल कमल पर आसीन धर्म , संपत्ति और ऐश्वर्य की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी की पूजा की जाती है । लक्ष्मी पूजा के साथ हम अपनी राष्ट्रलक्ष्मी का आवाहन करते हैं , ताकि हमारा राष्ट्र श्री – संपत्ति में विश्व के किसी राष्ट्र से कम न रहे । किंतु , आज हमारे राष्ट्र के अर्थतंत्र का प्रमुख कर्णधार हमारा व्यापारी वर्ग है , जो अनुचित तरीके से धन कमाता है और उसे राष्ट्रहित में लगाने के बजाए स्वार्थलिप्सा की तिजोरी में , बलि की कैद में पड़ी लक्ष्मी की तरह बंद कर छोड़ता है । छिपा हुआ यह समस्त धन समाज के लिए वैसा ही हो जाता है , जैसा हाथ या पाँव में बहता हुआ रक्त रुक जाए । शरीर में कहीं रुका हुआ रक्त जिस प्रकार बुढ़ापा लाता है , पक्षाघातग्रस्त करता है , उसी प्रकार इस भाँति अवितरित धन भी राष्ट्र में वार्धक्य ला रहा है , लकवा पैदा कर रहा है । हमें इस दिन ध्यान रखना चाहिए कि ‘ लक्ष्मी ‘ केवल एक वर्ग की वशंगता न हो जाए , दासी न बन जाए , वरन वह राष्ट्र के सभी लोगों की हो सके । हम ‘ दीपावली ‘ का त्योहार बहुत सोच – समझकर मनाएँ । यह हमारे लिए एक महान ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक पर्व है । एक ओर यह हमारे महान पूर्वपुरुषों की गौरवमयी विजयगाथाओं से संबद्ध है , तो दूसरी ओर समग्र संसार के लिए प्रकाश – कामना का प्रतीक है । हम मानवजाति को अंधकार से प्रकाश , असत् से सत् तथा मृत्यु से अमृत की ओर ले जाएँ – ‘ तमसो मा ज्योतिर्गमय , असतो मा सद्गमय , मृत्योर्मामृतं गमय ‘ – हमारी इसी मंगलकामना की स्मारिका है दीपावली । हम मानव – समाज को समृद्धि के शिखर पर ले जाएँ , हम सभी सुविधाओं के संभव द्वार खोलने में समर्थ हो सकें – इसकी साक्षी है दीपावली । दीपों का पर्व हमारे बाहर के अंधकार को भगाने का ही नहीं , वरन् अंतस के अंधकार को भी दूर करने के संकल्प का दिवस है ‘ एक दीप ऐसा भी बालो , अंधकार भागे अंतस का ! ‘ यह केवल एक राष्ट्र को मुक्त रखने की सौगंध – रजनी नहीं ; वरन् समग्र संसार के राष्ट्रों को मुक्त रखने की मधुरात्रि है , सुखरात्रि है—

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Diwali Essay In Hindi 10 lines । Diwali Essay In Hindi for Child

1). दिवाली हिंदुओं का एक बहुत ही पौराणिकत्यौहार है
2). दिवाली भारत का बहुत ही लोकप्रिय और सबसे बड़ा त्यौहार है
3). जब भगवान राम 14 वर्ष वनवास के बाद रावण का बध करके अयोध्या लौटे थे तब से यह दिवाली का पर्व मनाया जा रहा है
4). इस दिन सभी घरों में मिट्टी के दीए जलाए जाते हैं। और पटाखे फोड़े जाते हैं
4). दीपावली के दिन सभी घरों में माता लक्ष्मी और भगवान गणेश का पूजा अर्चना की जाती है।
5). इस दिन को सार्वजनिक अवकाश के रूप में मनाया जाता है
6). इस दिन का बूढ़े, जवान और बच्चे सभी पूरा आनंद उठाते हैं
7). यह त्यौहार कार्तिक अमावस्या के दिन मनाया जाता है।
8). इस दिन सभी के घरों में मिठाइयां पुड़ी और तरह-तरह के भोजन बनते हैं।
9). इस दिन कुमारी कन्याएं मिट्टी के घर बना कर उनकी पूजा करते हैं।
10). दीपावली के दिन सभी घरों में दीपक जलने के कारण सभी खतरनाक कीटाणुओं का नाश हो जाता है।

निष्कर्ष:- इस पोस्ट Diwali Essay in Hindi में हमने आपको दीपावली के बारे में पूरी जानकारी दी हम उम्मीद करते हैं कि यह पोस्ट आप लोगों को बहुत ही अच्छी लगी होगी अगर इस पोस्ट से संबंधित आपके मन में कोई सवाल या कोई सुझाव हो तो हमें कमेंट में अवश्य बताएं पोस्ट को पूरा पढ़ने के लिए धन्यवाद इस पोस्ट को अपने मित्रों के साथ भी शेयर जरूर करें

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