Communication Skills In Hindi- नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप दोनों का आज के इस नए ब्लॉग पोस्ट में दोस्तो आज के इस नए ब्लॉग पोस्ट में हम communication skills in Hindi के बारे में पूरी विस्तार जानेंगे।
हम सभी जानते हैं कि आज का दौर कंपटीशन का दौर है। और हमें इस कंपटीशन के दौर में किसी भी क्षेत्र में नौकरी करना हो, प्राइवेट जॉब करना हो, या तो फिर बिजनेस करना हो तो हमें कंपटीशन का सामना तो हर हाल में करना ही पड़ेगा।इस कंपटीशन के युग में अगर हमें किसी भी चीज में सफलता प्राप्त करनी है तो हमें सबसे अलग और सबसे अच्छा करना होगा जिसके लिए हमें अपनी Communication Skills को अच्छा करना होगा।
Communication Skills In Hindi – दोस्तों हम सभी जानते हैं कि आज का दौर कंपटीशन का दौर है। और हमें इस कंपटीशन के दौर में किसी भी क्षेत्र में नौकरी करना हो, प्राइवेट जॉब करना हो, या तो फिर बिजनेस करना हो तो हमें कंपटीशन का सामना तो हर हाल में करना ही पड़ेगा।इस कंपटीशन के युग में अगर हमें किसी भी चीज में सफलता प्राप्त करनी है तो हमें सबसे अलग और सबसे अच्छा करना होगा जिसके लिए हमें अपनी Communication Skills को अच्छा करना होगा।
आपको सफलता प्राप्त करने के लिए लोगों को चाहे जिस भी तरह से कम्युनिकेट करना हो चाहे तो बोल कर या तो फिर लिखकर आप बिना Effective Communication Skills के लोगों को कम्युनिकेट नहीं कर पाएंगे।
तो दोस्तों आज हम इस पोस्ट में Communication Skills के बारे में बात करेंगे मेरा आप लोगों से एक अनुरोध हैै कि कृपया आप लोग इस पोस्ट को पूरा पढ़ें।
Communication Skills In Hindi (संचार कौशल)
‘ संचार ‘ अथवा ‘ सम्प्रेषण ‘ शब्द अंग्रेजी भाषा के ‘ Communication ‘ शब्द का हिन्दी रूपान्तरण है , जिसकी उत्पत्ति लैटिन भाषा के Communis ‘ शब्द से हुई है , जिसका अर्थ होता है , “ किसी माध्यम के द्वारा किसी विषय अथवा वस्तु की साझेदारी करना या अपने विचारों व भावनाओं को दूसरे के साथ बाँटना । ” संचार एक बेहद जटिल अन्त : क्रिया है । संचार की इस प्रक्रिया द्वारा सन्देश प्रेषित तथा सन्देश प्राप्त करने वाले , दोनों व्यक्ति एक – दूसरे से प्रभावित होते हैं । प्रभावी संचार कौशल किसी भी संस्था की सफलता को प्रभावित करता है । यदि संचार कौशल सही नहीं होगा तब लोगों पर इसका दुष्प्रभाव पड़ेगा।

उदाहरण – जब एक शिक्षक अपने विचारों को छात्रों तक भाषण(Lecture) के माध्यम से पहुँचाता है , तब इससे दोनों एक – दूसरे से प्रभावित होते हैं , जिससे शिक्षक के अपने विचारों के सम्प्रेषण करने के उद्देश्य की पूर्ति होती है । इस प्रकार उपरोक्त सभी तथ्यों से स्पष्ट है कि संचार ( Communication ) वह प्रक्रिया है , जिसमें दो – या – दो से अधिक व्यक्तियों के बीच विचारों , अनुभूतियों , तथ्यों तथा प्रभावों का परस्पर आदान – प्रदान होता है । “ संचार सूचनाओं का आदान – प्रदान है तथा एक – दूसरे को समझने की कला है । ” – डेविड एच हॉल्ट । “ संचार वह प्रक्रिया है , जो समानता को बढ़ाती है । ” – डेनिस मैक्वेल
संचार के प्रकार Types of Communication SKILLS In Hindi
संचार मुख्यत : तीन प्रकार का होता है
1. मौखिक संचार
2. लिखित संचार
3. अमौखिक संचार
1. मौखिक संचार ( Verbal Communication SKILLS IN HINDI )
मौखिक संचार का तात्पर्य ऐसे संचार से है , जिसमें सामान्यत : बोलकर सन्देश का सम्प्रेषण किया जाता है । यह संचार का एक सामान्य प्रकार है , जिसका प्रयोग हम काफी लम्बे समय से करते आ रहे हैं । वाक्यों , शब्दों तथा वाक्याशों का उच्चारण मौखिक संचार माना जाता है । मौखिक संचार का प्रयोग सामान्यतः सभाओं में , गोष्ठियों में टेलीफोन पर बातचीत तथा भाषणों आदि की प्रस्तुति में किया जाता है । टेलीफोन ( Telephone ) वर्तमान समय में अमौखिक संचार का यह माध्यम सर्वाधिक प्रचलन में है । यह द्विमार्गी सम्प्रेषण का माध्यम है , जिसमें टेलीफोन के माध्यम से दुनिया में कहीं भी बैठे प्राप्तकर्ता को सन्देश प्रेषित करना ( भेजना ) सम्भव होता है ।
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मौखिक संचार का महत्त्व एवं लाभ
(Importance and benefits of oral communication SKILLS In Hindi )
मौखिक संचार का महत्त्व एवं लाभ निम्न प्रकार है
1.मौखिक संचार नेतृत्व क्षमता का विकास करने में सहायक है । यह संचार का सर्वाधिक सस्ता साधन है , क्योंकि इसमें किसी भी प्रकार के कागज , , स्याही या अन्य वस्तुओं की आवश्यकता नहीं होती ।
2.मौखिक संचार के अन्तर्गत सन्देश सामान्यत : स्पष्ट होता है । यदि कोई संदेह है तो वह उसी समय दूर किया जा सकता है ।
3. मौखिक संचार समय की बचत में भी सहायक हैं , क्योंकि इसमे सन्देश लिखने की आवश्यकता नहीं होती ।
• मौखिक संचार के अन्तर्गत सन्देश भेजने वाला , सन्देश प्राप्तकर्ता की प्रतिक्रिया उसी समय जान सकता है और वह यह समझ सकता है कि प्राप्तकर्ता को सन्देश उचित रुप से सन्देश प्राप्त हुआ है या नही ।
मौखिक संचार से होने वाली हानियाँ।
( Losses due to oral communication SKILLS IN HINDI)
मौखिक संचार से होने वाली हानियाँ निम्न प्रकार है।
1.मौखिक संचार के अन्तर्गत प्रमाण का अभाव पाया जाता है , क्योंकि इसके अन्तर्गत भेजे गए सन्देश का कोई भी लिखित प्रमाण उपस्थित नहीं रहता है । मौखिक संचार के अन्तर्गत दोनों पक्षों का होना आवश्यक है । यदि दोनों पक्ष उपस्थित नहीं होंगे तो संचार की प्रक्रिया नहीं हो पाएगी ।
2.मौखिक संचार के अन्तर्गत प्राप्तकर्ता छोटे सन्देश को याद रख सकता है , परंतु वह किसी सभा का भाषण या संस्था के नियम आदि को याद नहीं कर सकता । इन सभी का लिखित रुप में होना अनिवार्य है ।
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लिखित संचार ( Written Communication Skills )
लिखित संचार का आज के समय में अत्यधिक महत्त्व है । व्यापारिक विकास हेतु , विज्ञापन सामग्री तैयार करने हेतु तथा अन्य संस्थाओं से संचार हेतु यह अनिवार्य है । लिखित संचार के लिए आवश्यक है कि लिखे गए सन्देश में साधारण एवं सरल भाषा का प्रयोग किया गया हो ।
लिखित संचार के प्रमुख रूप निम्नलिखित हैं।
( i ) ई – मेल द्वारा ( By E – mail ) यह संचार का आधुनिक रूप है , जिसमें कम्प्यूटर तथा इण्टरनेट की सहायता से सन्देश ( Message ) को एक स्थान से दूसरे स्थान पर अन्य माध्यमों की तुलना में तीव्रता से जा सकता है । ई – मेल के लिए भेजने वाले तथा प्राप्त करने वाले की ई – मेल आई डी ( E – mail Id ) का होना आवश्यक है । ई – मेल द्वारा भेजे गए सन्देश के साथ आवश्यक फाइल को भी संलग्न ( Attach ) करके भेजा जा सकता है । ई – मेल द्वारा भेजा गया सन्देश प्राप्तकर्ता को अपने Inbox में प्राप्त होता है ।
( ii ) पत्रों द्वारा ( By Letters ) यह अत्यन्त प्राचीन विधि है । इसमें सन्देश भेजने वाला व्यक्ति पत्र द्वारा अपना सन्देश भेजता है । सन्देश प्राप्त करने वाला व्यक्ति अपना उत्तर या प्रतिक्रिया एक अन्य पत्र द्वारा भेजता है।
( iii ) फैक्स द्वारा ( By Fax ) यह टेलीग्राफिक डिवाइस होती है । इसमें भेजने वाला पहले से ही टाईप्ड या हाथ से लिखा कोई भी सन्देश ड्राइंग आदि अपनी मशीन में लगाता है ।
( iv ) नोटिस द्वारा ( By Notice ) जब किसी संगठन में बहुत से व्यक्ति कार्य करते हैं , तो सभी को एक साथ सूचित करने का यह एक सस्ता एवं आसान तरीका है ।
लिखित संचार का महत्त्व एवं लाभ (Importance and benefits of written communication Skills in hindi)
लिखित संचार का महत्त्व एवं लाभ निम्न है।
1.लिखित संचार के अन्तर्गत यदि किसी भी प्रकार की कोई संदेह या गलतफहमी होती है तो उसे पुनः रिकार्ड में देखकर दूर किया जा सकता है।
2.लिखित संचार के अन्तर्गत दोनों पक्षों का उपस्थित होना या व्यक्तिगत सम्र्पक होना आवश्यक नही है।
3.वैधानिक बचाव लिखित संचार पर निर्भर हो सकते है , क्योंकि यह वैध अभिलेख उपलब्ध कराता है ।
4.लिखित संचार के माध्यम से एक से अधिक प्राप्तकर्ताओं एक साथ सम्प्रेषित किया जा सकता है ।
5.लिखित सन्देश संस्था के अन्तर्गत काफी कर्मचारियों के हाथ से गुजरता है , जिससे सन्देश की गोपनीयता खत्म होना का भय रहता है । लिखित सन्देश को भेजने तथा सम्भाल कर रखने में काफी खर्च भी आता है ।
अमौखिक संचार ( Non – Verbal Communication Skills hindi )
अमौखिक संचार ( Non – Verbal Communication ) का तात्पर्य ऐसे संचार से है . जिसके अन्तर्गत सन्देश का सम्प्रेषण बिना शब्दों को बोले किया जाता है । इसके अन्तर्गत सन्देश के सम्प्रेषण के लिए मुख्यतः हाव – भाव ( Gestures ) , शारीरिक भाषा , नेत्र सम्पर्क , आदि का उपयोग किया जाता है । यह तीन प्रकार का होता हैं
( i ) पैरा – लैंग्वेज ( Para Language )
( ii ) प्रोक्सिमाइस ( Proxemics ) ( भौतिक जगह के प्रयोग से सम्बन्धित )
( iii ) कैनेटिक्स ( Kinetics ) ( शारीरिक भाषा तथा चेहरे की अभिव्यक्ति का अध्ययन )
NOTE:- यहां पर हम केवल पैरालैंग्वेज की ही बात करेंगे
पैरा – लैंग्वेज ( Para Language )
पैरा – लैंग्वेज ( Para Language ) अमौखिक संचार के इस घटक के अन्तर्गत हमें कोई सन्देश किस तरह पहुँचाना है या कोई बात किस प्रकार करनी है , इसका अध्ययन किया जाता है । इसके अन्तर्गत हमारी आवाज के स्वर की तीव्रता , मृदुता , ऊँचाई तथा शब्दों के चयन का अध्ययन किया जाता है ; जैसे यदि किसी कक्षा में कोई छात्र कहता है कि मेरी तबीयत खराब है , बाहर जा रहा हूँ ; तो शिक्षक के उत्तर देने का स्वर निम्न प्रकार हो सकता है।
1.यदि शिक्षक गुस्से में हो – नहीं , तुम बाहर नहीं जा सकते ।
2. यदि शिक्षक गुस्से में नहीं हो – ठीक है , आराम से जाना तथा अपना ध्यान रखना ।
अमौखिक संचार में बॉडी लैंग्वेज का महत्त्व बॉडी
The importance of body language in non-verbal communication skills in hindi
लैंग्वेज का तात्पर्य शारीरिक हाव – भाव तथा शारीरिक संकेतकों के माध्यम द्वारा भावनाओं , सन्देश , गतिविधि तथा स्थिति को व्यक्त करने से है । सामान्यत : बॉडी लैंग्वेज की चर्चा दो व्यक्तियों के मिलने या साक्षात्कार के सन्दर्भ में की जाती है । इसके अन्तर्गत व्यक्ति के उठने , बैठने , हाथ मिलाने तथा बात करने के तरीके को परखा जाता है । मौखिक संचार में बॉडी लैंग्वेज के द्वारा यह दर्शाने की आवश्यकता होती है कि आप जिसके साथ वार्ता कर रहे हैं , वह आपको सुन भी रहा है । इसके अन्तर्गत नेत्र सम्बन्ध ( Eye to Eye Contact ) संकेत का सहारा लेना सबसे उपयुक्त होता है ।
संचार की प्रक्रिया Process of Communication Skills in hindi
संचार एक आवश्यक मानवीय प्रक्रिया है , जिसकी सहायता से मनुष्य अपने भावों , विचारों , प्रेरणाओं आदि को एक दूसरे को सम्प्रेषित करता है । संचार प्रक्रिया में बहुत से माध्यम कार्य करते हैं ; जैसे — सूचना के स्रोत , सूचना को प्राप्त करने वाला , सूचना का माध्यम आदि । यह उचित रूप से तभी पूरी होती है , जब भेजने वाला अपना सन्देश भेजता है तथा प्राप्त करने वाला उस सन्देश का उत्तर देता है ।
संचार के तत्त्व Elements of Communication skills in hindi
संचार के प्रमुख तत्त्व निम्न प्रकार हैं
( 1 ) सन्देश भेजने वाला / प्रेषक ( Sender ) वह व्यक्ति जो किसी सूचना या सन्देश को पहुँचाता है , प्रेषक कहलाता है ।
( ii ) सन्देश ( Message ) यह किसी भी संचार का मुख्य विषय होता है , जिसमें कोई भी सूचना लिखित या अलिखित किसी भी माध्यम से सम्प्रेषित की जा सकती है ।
( iii ) एन्कोडिंग ( Encoding ) सूचना भेजने वाला व्यक्ति अपने विचारों को अपनी भाषा में या विभिन्न प्रतीक चिन्हों की एक श्रृंखला के रूप में व्यवस्थित करता है और फिर वह इस सूचना को आगे भेजता है । यह संचार विभिन्न प्रकार के हाव – भावों द्वारा भी किया जा सकता है ।
( iv ) संचार माध्यम ( Communication Channel ) सन्देश भेजने वाले व्यक्ति को एक ऐसे माध्यम की आवश्यकता होती है , जिसके द्वारा वह अपने सन्देश को आगे भेज सके । संचार माध्यम औपचारिक अथवा अनौपचारिक किसी भी प्रकार का हो सकता है । व्यक्तिगत , पारिवारिक तथा सामाजिक स्तर पर अधिकांशत : अनौपचारिक माध्यम का प्रयोग किया जाता है जबकि विद्यालय किसी संगठन अथवा किसी प्रतिष्ठान में सन्देश भेजने हेतु औपचारिक माध्यम ( पत्र , ई – मेल आदि ) का प्रयोग किया जाता है ।
( v ) फीडबैक ( Feedback ) सन्देश प्राप्तकर्ता अथवा रिसीवर की प्रतिक्रिया या उसका उत्तर ही फीडबैक कहलाता है । जब तक प्राप्तकर्ता से सन्देश की प्रतिक्रिया नहीं प्राप्त होती तब तक संचार प्रक्रिया को अपूर्ण माना जाता है ।
( vi ) डिकोडिंग ( Decoding ) सन्देश प्राप्त होने के पश्चात् सन्देश प्राप्तकर्ता सन्देश को समझता है । यदि सन्देश किसी कूट भाषा या सांकेतिक भाषा में लिखा है , तो वह इस सन्देश को समझने के लिए अपने शब्दों में उसे डिकोड करता है , जिससे उसे सन्देश समझने में सहायता मिलती है ।
( vii ) प्राप्तकर्ता ( Receiver ) वह व्यक्ति जो संदेश प्राप्त करता है प्राप्तकर्ता कहलाता है ।
संचार का महत्त्व Importance of Communication
वर्तमान में संचार का महत्त्व अत्यन्त बढ़ गया है । अत : लोगों तथा समाज के लिए इसका महत्त्व निम्नलिखित आधारों पर सिद्ध किया जा सकता है
1. संचार प्रक्रिया द्वारा व्यक्ति स्वयं अपनी भावनाओं , विचारों आदि के विषय में जानने तथा दूसरों के विचारों , भावनाओं आदि का पता लगाने का प्रयास करता है । साथ ही , व्यक्ति अपने वातावरण को संगठित करने , विविध प्रकार की सूचनाओं को प्राप्त करने तथा वातावरण के साथ अनुकूल सामंजस्य स्थापित करने का प्रयास करता है । स्वयं के विषय में दूसरों की प्रतिक्रियाओं को जानकर व्यक्ति दूसरों के साथ संचार स्थापित करके अपनी पहचान बनाने का प्रयास करता है । इससे उसे अपनी आत्मछवि पर चिन्तन मनन करने तथा अपने आप को बेहतर तरीके से समझने का अवसर प्राप्त होता है । इस प्रकार संचार व्यक्ति के जीवन में बेहतर सार्थक भूमिका निभाता है और उसकी वृद्धि एवं विकास में सहायक होता है ।
2. संचार द्वारा दो – या – दो से अधिक व्यक्तियों के बीच सूचनाओं की भागीदारी होती है , जिससे उनके मन में एक – दूसरे के प्रति कल्याण की भावना सुनिश्चित होती है और इससे सामाजिक समरसता का मार्ग प्रशस्त होता है ।
3.संचार वैयक्तिक सन्तुष्टि तथा पारस्परिक सौहार्द की भावना को विकसित करके मजबूत सामाजिक सम्बन्धों की नींव डालता है । संचार सूचनाओं की भागीदारी , विचार आदान – प्रदान के फलस्वरूप निर्णय लेने , चिन्तन , सृजनात्मक योग्यताओं आदि क्षमताओं आदि के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है ।
संचार में आने वाली बाधाएँ Barriers to Communication
संचार में अनेक प्रकार की बाधाएँ उत्पन्न होती हैं । कभी सन्देशवाहक के कारण कोई बाधा आ सकती है तो कभी सन्देश को प्राप्त करने में कोई बाधा आ सकती है । संचार की कुछ प्रमुख बाधाएँ निम्नलिखित हैं
( i ) भाषा एवं प्रयुक्त शब्द ( Language and words Used ) भाषा कई बार सम्प्रेषण में बाधा बन जाती है ; जैसे — यदि किसी संस्था का मैनेजर कोई दूसरी भाषा जानता है , जिसे कर्मचारी नहीं समझते हों , तो सन्देश के सम्प्रेषण में समस्या उत्पन्न हो जाती है ।
( ii ) सन्देशवाहक के कारण ( Lack of Knowledge of Messenger ) कभी – कभी सन्देशवाहक स्वयं भी सम्प्रेषण में समस्या उत्पन्न कर सकता है ; जैसे – यदि उसे किसी विषय में कम ज्ञान है , तो वह ठीक प्रकार से उसे समझा नहीं पाएगा और यदि ज्यादा ज्ञान है , तो उसे इतना व्यक्त कर देगा कि श्रोता असमंजस में पड़ जाएंगे ।
( iii ) सन्देश स्थानान्तरण के कारण ( During Transfer of Message ) स्थानान्तरण की समस्या के कारण कई बार सम्प्रेषण बीच में टूट जाता है , क्योंकि कई बार सन्देश का स्थानान्तरण अनेक चैनलों से होकर गुजरता है , जिससे जो सन्देश प्राप्तकर्ता को प्राप्त होता है उसका स्वरूप वास्तविक रूप से भिन्न होता है ।
( iv ) शोर के कारण ( Due to Noise ) कई बार शोर के कारण वक्ता के शब्द ठीक से श्रोता तक नहीं पहुंच पाते हैं , जिससे सम्प्रेषण की समस्या आती है । यह शोर बाहर भी हो सकता है या किसी के बीच में किसी भी क्रिया ( जैसे — मोबाइल के बजने , डी.जे. की आवाज , छींकने के कारण , पन्ने पलटने आदि ) से हो सकता है ।
( v ) एक से अधिक सन्देशों के कारण ( Due to More than One Message ) यदि सन्देश प्राप्तकर्ता एक समय पर ही एक से अधिक सन्देश प्राप्त करता है , तो वह उनमें से किसी एक पर भी ध्यान नहीं दे पाएगा ।
( vi ) गलत माध्यम का चयन ( Selection of Improper Channel Medium ) सन्देश के माध्यम का गलत चुनाव करना भी एक प्रमुख बाधा है । आपको कोई सन्देश जल्दी ही किसी को भेजना है और आप फैक्स , ई – मेल के अतिरिक्त पोस्ट के द्वारा भेजते हैं ; तो सन्देश भेजना व्यर्थ है ।
( vii ) घबराहट एवं असहजता ( Nervousness / discomfort ) संचार के दौरान व्यक्ति से साक्षात्कार के समय घबराहट या फिर असहजतापूर्ण व्यवहार स्वाभाविक है । इसके मूल में मानव की प्रकृति है । सामान्य नागरिक में जनसाधारण के समक्ष सम्बोधन के दौरान घबराहट या असहजता होती ही है ।
संचार में आने वाली बाधाओं को दूर करने के BYR Measures for Barriers of Communication
संचार की बाधाओं को दूर करने के उपाय निम्नलिखित है।
( i ) विषय का ज्ञान हो ( Knowledge of Subject ) यह संचार की बाधाओं को करने की प्रक्रिया की अनिवार्य शर्त है । इसके अन्तर्गत सन्देश देने वाले ( Sender ) तर से यह अपेक्षा की जाती है कि उसको सन्देश सम्बन्धी ज्ञान हो , जिससे प्राप्तकर्ता 0 उचित सन्देश ग्रहण करने के बाद अनुकूल फीडबैक देने में सक्षम हो ।
( ii ) दर्शकों / श्रोताओं से सम्बन्धित जानकारी हो ( Knowledge of Target Audience ) प्रभावी तथा स्पष्ट संचार के लिए आवश्यक है कि सन्देश प्रेषित करने वाले को सामने वाले प्राप्तकर्ता दर्शक / श्रोता की समझ , शिक्षा तथा रुचि सम्बन्धी जानकारी हो । ऐसा होने पर सन्देश आसानी से प्राप्तकर्ता तक पहुँच जाता है , जिसका प्रमाण सकारात्मक फीडबैक होता है ।
( iii ) सन्देश उद्देश्यपरक हो ( Meaning Fullness of Message ) इसके अन्तर्गत सन्देश स्रोत या सेण्डर से यह अपेक्षा की जाती है कि प्रेषित सन्देश उद्देश्यपरक हो , जिससे प्राप्तकर्ता इसको पूर्ण रूप से ग्रहण करने में सक्षम हो या ग्रहण करने की जरूरत समझें ; जैसे — प्राप्तकर्ता के समाज / देश सम्बन्धी कोई सन्देश ।
( iii ) माध्यम की स्पष्टता हो ( Proper Channel Medium ) वैसे तो यह सहायक की भूमिका में होता है , लेकिन संचार के अन्तर्गत किसी सन्देश के सन्देश स्रोत से प्राप्तकर्ता तक पहुँचने की पूरी प्रक्रिया , इसकी ( माध्यम ) स्पष्टता पर ही निर्भर करती है । अत : सन्देश प्रेषित करने से पहले हमें माध्यम की गुणवत्ता तथा स्थिति की जाँच अवश्य करनी चाहिए ।
( iv ) सन्देश संगठित तथा लक्षित हो ( Organised and Targeted Message ) इसमें यह अपेक्षा की जाती है कि संचार के क्रम में जो भी सन्देश प्रेषित हो , वह व्यवस्थित , छोटा तथा प्राप्तकर्ता के प्रति लक्षित हो , जिससे संचार की उपयुक्तता सुनिश्चित हो सके ।
प्रभावशाली संचार Effective Communication SKILLS IN HINDI
प्रभावशाली संचार का तात्पर्य संचार के ऐसे स्वरूप से है , जो दो – या – दो से अधिक व्यक्तियों के मध्य बेहतर सम्बन्धों को निर्मित करने तथा उसे बनाए रखने में सहायक होता है । यह कौशल लोगों को सुव्यवस्थित अन्त : क्रिया करने , एक – दूसरे के विचारों को समझने , वैकल्पिक दृष्टिकोण विकसित करने तथा एक – दूसरे की आवश्यकताओं को पूरा करने में भी सहायता प्रदान करता है । प्रभावशाली संचार के सिद्धान्त निम्न हैं।
( i ) साधारण एवं सरल भाषा ( General and Easy Language ) प्रेषक द्वारा सन्देश में साधारण एव सरल भाषा का प्रयोग होना चाहिए तथा तकनीकी और कठिन भाषाओं के प्रयोग से बचना चाहिए । अत : सन्देश में ऐसी भाषा प्रयोग होना चाहिए जो सन्देश प्राप्तकर्ता के बौद्धिक स्तर से मिल जाए ।
( ii ) पूर्वाग्रह से बचना ( Away from Prejudices ) सन्देश प्राप्त करने एवं भेजने वाले दोनों को पूर्वाग्रह से बचना चाहिए । उन्हें सन्देश पर खुले और स्पष्ट तरीके से विचार करना चाहिए । इसके अतिरिक्त उन्हें अपने विचार को ही श्रेष्ठ नहीं समझना चाहिए ।
( iii ) व्यवस्थित सन्देशवहन ( Organised Transfer of Message ) सन्देशवहन का समय , विषय – वस्तु , स्थान उद्देश्य , सन्देश प्राप्तकर्ता सभी पहले से सुनिश्चित होने चाहिए ।
( iv ) प्रत्यक्ष सन्देशवहन ( Direct Transfer of Message ) सन्देशवहन की सफलता के लिए यह अत्यन्त आवश्यक है कि सन्देशवहन प्रत्यक्ष हो । इससे सन्देश सही रूप में एवं सही अर्थों में प्रेषित के पास पहुँच सकेंगे । अत : सन्देशवहन में कम – से – कम स्तर हो तथा जहाँ तक सम्भव हो प्रत्यक्ष रूप से सन्देश पहुँचाए जाएँ ।
( v ) आपसी सद्भावना एवं विश्वास ( Mutual Respect and Trust ) सन्देशवहन की सफलता के लिए कर्मचारियों व उच्च अधिकारियों में आपसी सद्भावना एवं विश्वास अत्यन्त आवश्यक है । उच्च अधिकारियों को हमेशा अधीनस्थों के सुझाव एवं शिकायतों को सुनने के लिए तत्पर रहना चाहिए ।
Conclusion:- communication skills in Hindi हम आशा करते हैं कि यह पोस्ट आप लोगों को अच्छी लगी हो गई। अगर यह पोस्ट आप लोगों को अच्छी लगी हो तो इसे आप अपने मित्रों के साथ भी शेयर जरूर करें।
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